ऊना : आरटीओ ऊना राजेश कौशल ने बताया कि स्कूलों बसों की सुरक्षा के दृष्टिगत स्कूलों द्वारा स्व-संचालित व स्कूल प्रबंधन द्वारा लीज़ पर ली गई बसों के लिए राज्य परिवहन विभाग ने गाईडलाइन जारी की है। उन्होंने बताया कि स्कूल द्वारा स्व-परिचालित बसें और पूर्णकालिक संविदा के आधार पर व्यवस्थित बसों को गहरे पीले रंग का पेंट किया हो तथा बसों पर स्कूल का नाम दोनों तरफ स्पष्ट लिखा होना चाहिए जो आसानी से पहचाना जा सके। बस के पीछे और सामने 400 गुणा 300 एमएम आकार में स्कूल बस लिखा होना अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि यदि बस पट्टे पर ली गई तो इस पर ऑन स्कूल डयूटी लिखा होना चाहिए। स्कूल बस में चिकित्सा सहायता बॉक्स और पीने का पानी होना चाहिए। बस के भीतर चालक का ब्यौरा और स्कूल का नाम या बस के स्वामी का नाम, बालक सहायता नंबर 1098, आवश्यक आपातकालीन नंबर प्रदर्शित करना अनिवार्य है।
आरटीओ ने बताया कि यदि छात्रों की आयु 12 वर्ष से कम है, तो बस में छात्रों की संख्या बस की विहित क्षमता से डेढ़ गुना से अधिक नहीं होनी चाहिए। 12 वर्ष की आयु से ऊपर के छात्र को एक व्यक्ति के रूप में समझा जाएगा। छात्रों की सुरक्षा के लिए स्कूल बस की सीटें मानकों सहित पंक्ति में होना अनिवार्य है। स्कूल बस में पर्याप्त रोशनी और शीशों पर कोई पर्दा या किसी प्रकार की फिल्म नहीं चढ़ी होनी चाहिए ताकि आन्तरिक गतिविधियां बाहर से स्पष्ट देखी जा सकें। बस में किसी भी प्रकार का संगीत उपकरण नहीं होना चाहिए। किसी भी परिस्थितियों में किसी भी अनाधिकृत व्यक्ति को बस में बैठाना या कोई आपेक्षित पदार्थ जैसे गैस सिलेंडर, मिट्टी का तेल, तेजबा, शराब आदि नहीं रखा जाएगा। स्कूल बसों का मोटर वाहन अधिनियम 1988 में अंतर्विष्ट उपबंधों के तहत विधिमान्य बीमा होना चाहिए। प्रत्येक स्कूल बस के रूट और ठहराव स्थल का आरटीओ या स्कूल प्रबंधन द्वारा अनुमोदित किया जाना अपेक्षित होगा। स्कूल को परिवहन सुविधाएं प्रदान करने वाले वाहन 15 वर्ष से पुराने नहीं होने चाहिए। स्कूल बस में जीपीएस लगवाना अनिवार्य होगा तथा स्कूल प्रबंधन सुनिश्चित करे कि जीपीएस प्रणाली सुचारू रूप से कार्य कर रही हो। स्कूल बस के चालक के पास विधि माय चालन अनज्ञप्ति होनी अनिवार्य है। चालक की आयु 60 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। बस चालक की आंखों के परीक्षण सहित शारीरिक आरोग्यता की जांच हर वर्ष होनी चाहिए और स्कूल प्रबंधन चालक को स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध करवाएगा। स्कूल बस चलाते वक्त मोबाइल फोन का प्रयोग करना वर्जित है। दिव्यांग छात्रों के लिए स्कूल बसों में नियमानुसार आवश्यक और समुचित व्यवस्था करनी अनिवार्य होगी। स्कूल बस में पांच किलोग्राम क्षमता वाले आईएसआई मानक वाले दो अग्निशमन सयंत्र होना जरूरी है।
स्कूलों द्वारा स्व-संचालित बसें :
आरटीओ ने कहा कि स्व-संचालित स्कूल बसों की खिड़कियों में जाली लगाना सुनिश्चित करें। स्कूल बस में आपातकालीन द्वार और चालक के लिए पारदर्शी केबिन होना जरूरी है। स्कूल बस के चालक के पास भारी यान चलाने का कम से कम पांच वर्ष का अनुभव होना अनिवार्य है। स्कूल बस में चालक के अलावा परिचालक भी होगा, जिसके पास विधिमान्य अनुज्ञप्ति हो। स्कूल प्रबंधन प्रत्येक स्कूल बस में कम से कम एक प्रशिक्षित महिला गार्ड की व्यवस्था भी सुनिश्चित करेगा, जो बस यात्रा के दौरान छात्रों की देखभाल तथा उनकी सुरक्षा के साथ-साथ छात्रों को बस में उतारने और चढ़ाने में भी सहायता करेगी। स्कूल बैग को सुरक्षित रखने के लिए सीटों के नीचे सुविधाजनक स्थान की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। स्कूल बसों में अलारम तथा सायरन की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति में सभी को सतर्क किया जा सके। बस चालक ग्रे रंग के कपडे़ और काले रंग के जूते पहनेंगे तथा वर्दी पर चालक अपने नाम की प्लेट लगाना भी सुनिश्चित करेंगे। चालकों की चालान और व्यवहारिक कुशलता में सुधार लाने के लिए उन्हें प्रत्येक वर्ष प्रशिक्षण करवाया जाएगा। स्कूल प्रबंधक प्रत्येक स्कूल बस में एक मोबाइल फोन उपलब्ध करवाया जाएगा ताकि आपात स्थिति में स्कूल बस से सम्पर्क किया जा सके।
स्कूलों द्वारा पट्टे पर ली गई निजी संविदा वाहन :
आरटीओ ने कहा कि स्कूलों द्वारा लीज़ पर ली गई बसों की संविदा स्कूल के साथ होगी तथा बस चालाक संविदा की प्रति सदैव अपने पास रखेगा। बस चालक का नाम और बस का विवरण पुलिस थानों और जिला पुलिस यातायात को देना अनिवार्य होगा।