एएम नाथ। शिमला : हिमाचल में शराब की बोतल पर एमएसपी लगने जा रहा है। यानी बोतल पर अब एमआरपी नहीं, एमएसपी होगा। आबकारी कराधान विभाग ने पंजाब और चंडीगढ़ की तर्ज पर शराब को बिना रेट बेचने का फैसला किया है। आबकारी कराधान विभाग ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के माध्यम से रेट तय करने का फार्मूला भी ढूंढ लिया है।
विक्रेताओं का प्रोफिट मार्जिन 10 से 30 प्रतिशत प्रति बोतल रहेगा। इस फार्मूले का असर प्रदेश में शराब के दाम पर भी नजर आने वाला है और दाम में भी इतनी ही बढ़ोतरी की संभावना बनी हुई है। हालांकि जिन क्षेत्रों में दुकानें ज्यादा होने की वजह से प्रतिस्पर्धा रहेगी, वहां प्रतिस्पर्धा के आधार पर भी दाम तय होंगे। आबकारी विभाग ने सिंगल माल्ट व्हिस्की, रम, जिन, वोडका, बायो वीयर, वाइन एंड साइडर एल-10 तक विक्रेता का लाभांश 10 प्रतिशत तय किया है। यानी अंकित एमएसपी से दस प्रतिशत ज्यादा दाम पर दुकानदार शराब की बिक्री कर पाएंगे। इसके अलावा सभी भारतीय बीयर के ब्रांड और देशी शराब पर प्रोफिट मार्जन 30 प्रतिशत तय किया गया है। हालांकि यह व्यवस्था मई या जून महीने से लागू होने की संभावना है।
दरअसल, 31 मार्च को वित्तीय वर्ष के दौरान खपत से बच गई शराब की बोतलों को पहले सप्लाई किया जाएगा और इन बोतलों पर मूल्य अंकित है। विभाग के पास अभी पुराना ही स्टॉक है और इस स्टॉक पर एमआरपी छपा हुआ है। इस स्टॉक के खत्म होने के बाद जैसे ही बाजार में दूसरा स्टॉक आएगा। विभाग उसे एमएसपी के माध्यम से बेचेगा। यानी विभाग एमएसपी तय करेगा और इसके बाद रेट प्रतिस्पर्धा और प्रोफिट मार्जन के आधार पर शराब का रेट तय होगा।
शराब की बोतल के साथ 10 रुपए मिल्क सेस और डेढ़ रुपए ईटीडी डिवेलपमेंट फंड भी वसूला जाएगा।