एएम नाथ। शिमला : : मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विभागों को ऐसे अधिकारियों की लिस्ट भेजने का निर्देश दिया है जो एक स्थान पर दो वर्ष से डटे हैं। लंबे समय से विभिन्न विभागों में संवेदनशील पदों पर तैनात अधिकारियों के तबादले की प्रक्रिया फिर शुरू कर दी गई है।
राज्य कर एवं आबकारी विभाग सहित कुछ अन्य विभागों में तबादले की प्रक्रिया पूरी करने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस संबंध में निर्देश जारी किया है। विभागों को इस प्रक्रिया के लिए तैयारी करने को कहा है।
पारदर्शी शासन प्रदान करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध
मुख्यमंत्री मंडी से शिमला पहुंचते ही शुक्रवार दोपहर दो बजे राज्य सचिवालय पहुंचे। बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार लोगों को जवाबदेह और पारदर्शी शासन प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने दो वर्ष में इस दिशा में कई कदम उठाए हैं। उद्योगों को सस्ती बिजली उपलब्ध करवाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि हिमाचल में पड़ोसी राज्यों की तुलना में सस्ती बिजली उपलब्ध है।
राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश में हरित उद्योगों को बढ़ावा देने के प्रयास कर रही है तथा पर्यटन, जल विद्युत, खाद्य प्रसंस्करण, डाटा भंडारण तथा डेयरी क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित कर रही है। बैठक में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान, अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी नजीम, मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर, निदेशक उद्योग डॉ. यूनुस व अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
पहले खनन से आते थे 240 करोड़, अब 360 करोड़ रुपये
सीएम ने उद्योग विभाग को खनन पट्टों की नीलामी प्रक्रिया में हिमाचल प्रदेश वन विकास निगम को शामिल करने का निर्देश दिया। सरकार जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट निधियों के उपयोग के लिए नए नियम बनाएगी।
दो वर्ष पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में खनन से प्रदेश सरकार को 240 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था लेकिन वर्तमान राज्य सरकार के प्रयासों से पिछले वित्त वर्ष में यह राजस्व बढ़कर 314 करोड़ रुपये हो गया। इस वित्त वर्ष के अंत तक 360 करोड़ रुपये तक होने की उम्मीद है।
पटवारी एवं कानूनगो की पेनडाउन स्ट्राइक
वहीं एक दूसरी खबर में स्टेट कैडर बनाने के विरोध में पटवारी एवं कानूनगो के अनिश्चितकालीन पेनडाउन स्ट्राइक पर रहने के कारण शुक्रवार को 2375 पटवारखानों और 386 कानूनगो कार्यालयों में ताला लटका रहा।
इसके कारण कामकाज ठप रहा। यही नहीं माह के दो अंतिम दिनों में आयोजित होने वाली राजस्व लोक अदालतों के न होने के कारण करीब एक करोड़ के नुकसान का अनुमान है। अनिश्चितकालीन पेनडाउन स्ट्राइक के दौरान पटवारी और कानूनगो तहसील कार्यालयों और जिला कार्यालयों में बैठे रहे।