चंडीगढ़ : प्रदेश में पंचायत चुनाव के बाद अब जल्द ही राजनीतिक पार्टियां नगर निकाय चुनाव की तैयारी में जुटने जा रही हैं। नगर निकाय चुनाव को लेकर गत दिवस पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट चंडीगढ़ में अहम सुनवाई हुई जिसके बाद इन चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। हाईकोर्ट ने गत दिवस पंजाब सरकार को निर्देश दिया है कि वह उन सभी नगर पालिकाओं और नगर निगमों में चुनाव कार्यक्रम अधिसूचित कर चुनाव करवाने की प्रक्रिया शुरू करे, जहां लंबे समय से चुनाव होने बाकी हैं।
हाईकोर्ट ने राज्य में बिना परिसीमन के चुनाव कराने के लिए 15 दिन की समय सीमा तय की है। इसके साथ ही राज्य के नगर निगमों फगवाड़ा, अमृतसर, पटियाला, जालंधर, लुधियाना और 42 नगर परिषदों-नगर पंचायतों के भी चुनाव होने हैं, जहां पांच साल की अवधि समाप्त होने के बाद चुनाव होने थे।
2023 में चुनाव कराने की जारी की गई थी अधिसूचना : कोर्ट को बताया गया कि 1 अगस्त 2023 को स्थानीय निकाय विभाग ने नगर परिषद चुनाव कराने की अधिसूचना जारी की थी, जो 1 नवंबर 2023 को होनी थी। लेकिन आज तक चुनाव नहीं हुए। याचिका के मुताबिक, उन्होंने चुनाव कराने के लिए 5 जुलाई को सरकार को कानूनी नोटिस भेजा था, लेकिन अभी तक उन्हें सरकार से कोई जवाब नहीं मिला है. इसलिए अब उन्हें हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सरकार से चुनाव कराने के निर्देश मांगने को मजबूर होना पड़ा है।
जनता का मूढ़ भापना मुश्किल : प्रदेश में मंगलवार को संपन्न हुए पंचायत चुनाव में लोगों ने अपना फैसला सुना दिया है। सभी राजनीतिक दल चाहेंगे कि वे पंचायत चुनाव का फायदा उठा सकें लेकिन फिर भी प्रदेश के लोगों के मूढ़ के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। लोकसभा चुनाव व उसके बाद हुआ जालंधर वेस्ट उपचुनाव इसके ताजा उदाहरण हैं। लोकसभा चुनाव में जहां कांग्रेस को लोगों ने ज्यादा सीटें दी थीं वहीं जालंधर वेस्ट उपचुनाव में एक बार फिर से आम आदमी पार्टी पर लोगों ने विश्वास जताया था। ज्ञात रहे कि इसमें बरनाला, गिद्दड़बाहा, चब्बेवाल और डेराबाबा नानक में विधानसभा उपचुनाव होने हैं। ऐसे में इन क्षेत्रों में जिस पार्टी को ज्यादा पंचायतें समर्थन देंगी वही पार्टी मजबूत होगी।
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