पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में हाल ही में एक बेहद अनोखा मामला सामने आया, जिसने न्यायाधीशों को भी चौंका दिया. यह मामला एक व्यक्ति, लक्की कुमार से जुड़ा है, जिसने अपनी पत्नी के सरकारी विभाग से अपने ही नाम और पते की जानकारी मांगी थी।
इस अजीबोगरीब याचिका को लेकर अदालत में काफी चर्चा हुई।
क्या था मामला?
याचिकाकर्ता लक्की कुमार ने अपनी पत्नी वीना कुमारी के सरकारी विभाग से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी. लेकिन चौंकाने वाली बात यह थी कि उसने अपनी पत्नी के काम या कर्तव्यों की जानकारी नहीं मांगी, बल्कि अपने ही नाम और पते की जानकारी मांगी. कोर्ट ने जब इस मामले की सुनवाई की, तो यह स्पष्ट हुआ कि याचिकाकर्ता खुद को वीना कुमारी का पति बता रहा है.
जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा, “इस याचिका में मांगी गई जानकारी वीना कुमारी नामक कर्मचारी के पति के नाम और पते से जुड़ी है. याचिकाकर्ता खुद को उसी कर्मचारी का पति बता रहा है. लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वह खुद अपने ही नाम और पते की जानकारी विभाग से क्यों मांग रहा है. यह बेहद हैरान करने वाला मामला है।
राज्य सरकार ने क्यों किया विरोध?
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि सरकारी विभाग ने एक कर्मचारी की व्यक्तिगत जानकारी देने में असफलता दिखाई है. हालांकि, राज्य सरकार ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरटीआई अधिनियम, 2005 के तहत किसी कर्मचारी की व्यक्तिगत जानकारी साझा नहीं की जा सकती.
सरकार की ओर से डिप्टी एडवोकेट जनरल अक्षिता चौहान ने इस अजीबोगरीब याचिका को लेकर अदालत में काफी चर्चा हुई।
क्या था मामला?
याचिकाकर्ता लक्की कुमार ने अपनी पत्नी वीना कुमारी के सरकारी विभाग से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी. लेकिन चौंकाने वाली बात यह थी कि उसने अपनी पत्नी के काम या कर्तव्यों की जानकारी नहीं मांगी, बल्कि अपने ही नाम और पते की जानकारी मांगी. कोर्ट ने जब इस मामले की सुनवाई की, तो यह स्पष्ट हुआ कि याचिकाकर्ता खुद को वीना कुमारी का पति बता रहा है.
जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा, “इस याचिका में मांगी गई जानकारी वीना कुमारी नामक कर्मचारी के पति के नाम और पते से जुड़ी है. याचिकाकर्ता खुद को उसी कर्मचारी का पति बता रहा है. लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वह खुद अपने ही नाम और पते की जानकारी विभाग से क्यों मांग रहा है. यह बेहद हैरान करने वाला मामला है.”
राज्य सरकार ने क्यों किया विरोध?
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि सरकारी विभाग ने एक कर्मचारी की व्यक्तिगत जानकारी देने में असफलता दिखाई है. हालांकि, राज्य सरकार ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरटीआई अधिनियम, 2005 के तहत किसी कर्मचारी की व्यक्तिगत जानकारी साझा नहीं की जा सकती.
सरकार की ओर से डिप्टी एडवोकेट जनरल अक्षिता चौहान ने
कोर्ट को बताया कि आरटीआई अधिनियम के तहत किसी भी कर्मचारी की निजता का सम्मान करना जरूरी है और ऐसे मामलों में व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा करना नियमों के खिलाफ है.
कोर्ट का फैसला
कोर्ट ने राज्य सरकार के तर्कों से सहमति जताई और कहा कि किसी भी कर्मचारी की व्यक्तिगत जानकारी साझा करना उसकी निजता का उल्लंघन होगा। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा, “किसी भी कर्मचारी की व्यक्तिगत जानकारी को आरटीआई अधिनियम, 2005 के तहत साझा नहीं किया जा सकता। इस मामले में किसी भी हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं बनता। इस आधार पर अदालत ने लक्की कुमार की याचिका को खारिज कर दिया।
याचिका खारिज होने के पीछे वजह
इस मामले में याचिकाकर्ता के वकीलों, मीना बंसल और नवजोत कौर ने दलील दी थी कि जानकारी न देने से उनके मुवक्किल के अधिकारों का हनन हुआ है. लेकिन अदालत ने इसे अनुचित मानते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को पहले यह समझना चाहिए कि वह जिस प्रकार की जानकारी मांग रहा है, वह नियमों के तहत प्रतिबंधित है।
यह मामला आरटीआई के तहत व्यक्तिगत जानकारी मांगने के सबसे अनोखे मामलों में से एक बन गया है. कोर्ट ने इसे “आश्चर्यजनक” बताते हुए लक्की कुमार की अजीबोगरीब मांग पर सवाल उठाया।