अमेरिका में रह रहे 104 अवैध प्रवासी भारतीयों को भारत वापस भेज दिया गया है। इन निर्वासित भारतीय अप्रवासियों को लेकर एक सैन्य विमान बुधवार दोपहर अमृतसर के श्री गुरु रामदास जी इंटरनेशनल एयर पोर्ट पर उतरा।
विमान में निर्वासित व्यक्तियों में 25 महिलाएं, 12 नाबालिग और 79 पुरुष थे। निर्वासित लोगों में 33 गुजरात के हैं, 30 पंजाब के हैं जबकि दो-दो निर्वासित उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ से हैं और तीन महाराष्ट्र से हैं। इन निर्वासितों को हाथ-पैरों में जंजीर बांधकर देश छोड़ा गया। इस मुद्दे पर विपक्ष ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। जिसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में कहा कि भारतीयों के साथ कोई बदसलूकी नहीं हुई। अमेरिका से भारतीयों को वापस भेजे जाने के मुद्दे पर गुरुवार को संसद में हुई चर्चा के बीच प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कहा कि वह कम से कम 4200 भारतीयों की जांच कर रहा है, जिन पर पिछले तीन सालों में अवैध रूप से अमेरिका में प्रवास करने का संदेह है।
एजेंटों के खिलाफ चल रही जांच में 4000 से अधिक संदिग्ध लेनदेन मिले
गुजरात और पंजाब स्थित एजेंटों के खिलाफ चल रही जांच के तहत प्रवर्तन निदेशालय को भारतीयों को कनाडा भेजने और फिर अमेरिका ले जाने से संबंधित 4,000 से अधिक संदिग्ध लेनदेन मिले हैं। यह एजेंट नियमित रूप से अलग-अलग रूट से लोगों को अवैध रूप से अमेरिका भेजते हैं।
ईडी की जांच में पाया गया है कि कई एजेंटों ने अमेरिका में भारतीयों के अवैध इमिग्रेशन के लिए शिक्षा का रास्ता अपनाया है। इसके तहत, अमेरिका जाने के इच्छुक भारतीयों को कनाडा के कॉलेजों में प्रवेश दिया जाता है। इन प्रवेशों के आधार पर उन्हें कनाडा का वीजा मिलता है और वे देश में उतर जाते हैं। लेकिन ये छात्र कभी कॉलेज नहीं जाते हैं और कनाडा में मौजूद एजेंटों द्वारा ज़मीन के रास्ते अमेरिका ले जाए जाते हैं।
कनाडा के कॉलेजों के नाम पर किया गया संदिग्ध लेनदेन
ईडी की जांच रिपोर्ट में कहा गया है, “जांच के दौरान पाया गया कि कनाडा स्थित कॉलेजों को फीस का भुगतान एबिक्सकैश के माध्यम से किया गया था, जो एक फाइनेंशियल सर्विस कंपनी है और विदेश में पैसा भेजने की सुविधा प्रदान करती है। एबिक्सकैश से पूछताछ करने पर पता चला कि 7 सितंबर 2021 से 9 अगस्त 2024 तक गुजरात के छात्रों की ओर से कनाडा स्थित विभिन्न कॉलेजों में लगभग 8500 लेनदेन किए गए।”
रिपोर्ट के अनुसार, इन 8,500 लेन-देन में से लगभग 4,300 डुप्लिकेट उपयोगकर्ता हैं, जो दर्शाता है कि एक ही व्यक्ति के खिलाफ़ दो बार लेन-देन दर्ज किया गया था। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “इस तरह कुल 4200 ऐसे लेन-देन जांच के दायरे में हैं। संदेह है कि ये लेन-देन प्रत्येक ऐसे लेन-देन से जुड़े व्यक्ति को कनाडा के ज़रिए अमेरिका भेजने के इरादे से किए गए थे।”
इस जटिल प्रक्रिया से किया गया संदिग्ध लेनदेन
जांच में यह भी पाया गया कि एजेंटों ने इन अवैध अप्रवासियों के लिए वित्तीय लेन-देन की एक जटिल संरचना बनाई। उन्होंने सबसे पहले संभावित अप्रवासी के लिए एक खाता खोला जिसमें एजेंटों द्वारा कॉलेज प्रवेश शुल्क के भुगतान सहित पर्याप्त धन जमा किया गया। फिर इसे एक सावधि जमा में स्थानांतरित कर दिया गया जिसका उपयोग ओवरड्राफ्ट खाता खोलने के लिए किया गया और फिर एबिक्स के माध्यम से धन भेजने के लिए उपयोग किया गया। एक बार प्रवेश वापस लेने के बाद पैसा वापस ओवरड्राफ्ट खाते में चला गया और फिर किसी तीसरे व्यक्ति को हस्तांतरित कर दिया गया। इस बीच, फिर ओवरड्राफ्ट खाते को बंद करने के लिए FD का उपयोग किया गया।
ईडी सूत्रों ने कहा कि ऐसा कई तरह के लेन-देन करने और फाइनेंशियल ट्रैक को कवर करने के लिए किया गया था। ओवरड्राफ्ट खातों के इस्तेमाल से यह सुनिश्चित हुआ कि लेन-देन से संदिग्ध रिपोर्ट न बने, जिन्हें प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा ट्रैक किया जा सके। अधिकारियों ने कहा कि एबिक्स जैसे भुगतान गेटवे का इस्तेमाल बचत बैंक खाते के लेन-देन की कड़ी जांच से बचने के लिए किया गया था। ईडी ने गुजरात पुलिस द्वारा जनवरी 2023 में दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर मामले की जांच शुरू की।