नई दिल्ली : राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद अब I.N.D.I.A गठबंधन में खींचतान बढ़ सकती है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि कौन कितनी सीटों पर राजी होगा। कल यानी 19 दिसंबर को गठबंधन की चौथी अहम बैठक होने वाली है। इसमें सीट शेयरिंग की चर्चा जरूर होगी. हालांकि आज लालू प्रसाद यादव ने भाजपा को चुनौती देते हुए कहा कि बैठक में हम लोग जा रहे हैं, मिलकर हटाएंगे इन्हें। तेलंगाना को छोड़कर बाकी चार राज्यों में पिछड़ने के बावजूद कांग्रेस विपक्षी गठबंधन में अपना दबदबा बनाए रखना चाहती है। 28 पार्टियों का विपक्षी गठबंधन भाजपा की अगुआई वाले NDA के खिलाफ अपने अभियान को तेज करना चाहेगा। अंदरखाने से खबर आ रही है कि कल की बैठक के बाद जनवरी या फरवरी में ही साझा उम्मीदवारों का ऐलान करने की तैयारी है।
सीट शेयरिंग का फॉर्मूला क्या होगा : राज्यों के हिसाब से कमेटियां बनेंगी और पार्टी-गठबंधन का झंडा भी सामने रखा जाएगा। सीट शेयरिंग बड़ा मुद्दा इसलिए है क्योंकि अब नीतीश कुमार की जेडीयू, ममता बनर्जी की टीएमसी और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी कांग्रेस से ज्यादा हक मांग सकती हैं। हालांकि अब तक जो संकेत मिले हैं उसके हिसाब से समझा जा रहा है कि कांग्रेस के तेवर कम नहीं हुए हैं। वह बार-बार तीन राज्यों- यानी राजस्थान, छत्तीसगढ़ और एमपी में मिले अपने वोट शेयर की बातें कर रही है।जिससे विपक्षी गठबंधन में उसकी पकड़ मजबूत रह सके। कांग्रेस का तर्क वही है कि उसके अलावा विपक्ष में दूसरी पार्टी नहीं है जिसका ज्यादातर राज्यों में प्रतिनिधित्व हो. उधर, भाजपा नए चेहरों को लाकर एक तरफ एंटी-इनकंबेंसी की लहर को ध्वस्त करने के फॉर्मूले पर आगे बढ़ रही है तो दूसरी तरफ जातिगत समीकरण भी साध रही है. अब दो दिन पहले मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमान युवा नेतृत्व को देने के पीछे भी कांग्रेस की बदली रणनीति ही लगती है.
188 सीटों पर शेयरिंग पर फंसा पेच : कर्नाटक-तेलंगाना में तो नहीं लेकिन सबसे बड़ी मुश्किल पंजाब, दिल्ली, यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्यों में होने वाली है । जहां क्षेत्रीय क्षत्रपों का फिलहाल दबदबा है। देखना यह होगा कि कांग्रेस कितनी सीटें साथी दलों के लिए छोड़ने पर राजी होती है। महाराष्ट्र-बिहार, पंजाब, दिल्ली और यूपी में ही लोकसभा की 188 सीटें हैं। बिहार में नीतीश, महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और शरद पवार, पंजाब-दिल्ली में केजरीवाल की पार्टी ज्यादातर सीटें चाहती होगी। उधर राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड और गुजरात में पिछले आम चुनाव में सभी सीटें हारने के बाद भी कांग्रेस सभी सीटें चाहती है। कांग्रेस यह मानकर चल रही है कि इन राज्यों में भाजपा से उसका सीधा मुकाबला है। इसी तरह बंगाल में TMC और लेफ्ट दलों का कांग्रेस से सीटें शेयर करना मुश्किल लगता है। यही हाल केरल का दिखाई दे रहा है. ऐसे में कल की बैठक के नतीजे पर सबकी नजरें रहेंगी कि कांग्रेस सीट शेयरिंग का फॉर्मूला कैसे ढूंढती है।