हरियाणा की राजनीति में इन दिनों सियासी गर्मी बढ़ती जा रही है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने पार्टी के कारण बताओ नोटिस का तीखा जवाब देकर चर्चाओं को तेज़ कर दिया है।
यह नोटिस उन्हें मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली के खिलाफ दिए गए उनके बयानों के कारण भेजा गया था। लेकिन विज ने अपने जवाब में न सिर्फ बेफिक्र अंदाज अपनाया, बल्कि पार्टी के भीतर की अंदरूनी हलचल को भी उजागर कर दिया। उन्होंने अपने जवाब में लिखा कि उन्होंने जो महसूस किया, वही कहा, और अगर पार्टी को और सवाल करने हैं, तो वे जवाब देने के लिए तैयार हैं। उनके इस बयान के बाद भाजपा के अंदर गहराती दरार की चर्चाएं और तेज हो गई हैं।
10 फरवरी को भाजपा नेतृत्व ने अनिल विज को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इसमें उनसे तीन दिनों के भीतर अपने बयानों पर स्पष्टीकरण देने को कहा गया था। विज ने अपने स्वभाविक अंदाज में जवाब देते हुए कहा, “मैंने पहले ठंडे पानी से नहाया, फिर रोटी खाई और फिर जवाब लिखकर पार्टी को भेज दिया।” यह बयान उनके आत्मविश्वास और बेफिक्र रवैये को दर्शाता है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने जितना याद था, उतना लिख दिया।
विज ने मीडिया को स्पष्ट किया कि वह अपना जवाब सार्वजनिक नहीं करेंगे। उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा, “जो कुछ भी मैंने लिखा है, उसकी कतरने भी मैं घर जाकर जला दूंगा।” हालांकि, उन्होंने इस बात पर सवाल उठाया कि उनके नोटिस की जानकारी मीडिया तक कैसे पहुंची? उन्होंने पार्टी से आंतरिक जांच की मांग भी की।
भाजपा में अंदरूनी खींचतान उस समय सामने आई जब अनिल विज ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की नियुक्ति को लेकर अपनी नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा था कि सैनी को मुख्यमंत्री बनाए जाने से पार्टी के कई कार्यकर्ता असंतुष्ट हैं और यह फैसला संगठन की भावनाओं के खिलाफ गया है।
विज ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली के नेतृत्व पर भी सवाल उठाए थे। उनका मानना था कि पार्टी को मजबूत नेतृत्व की जरूरत है, लेकिन मौजूदा स्थिति में भाजपा के अंदर मनमुटाव बढ़ रहा है। इसी के चलते पार्टी नेतृत्व ने उन्हें नोटिस भेजकर अनुशासन बनाए रखने की हिदायत दी थी।
इस विवाद ने भाजपा के सामने कई बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
Anil Vij हरियाणा की राजनीति में एक मजबूत नाम हैं। वह अंबाला छावनी से लगातार सात बार विधायक चुने जा चुके हैं। जनता और कार्यकर्ताओं के बीच उनकी पकड़ काफी मजबूत है। उनकी नाराजगी पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है।
अगर भाजपा इस मामले को हल्के में लेती है, तो विज जैसे वरिष्ठ नेता की उपेक्षा पार्टी के लिए घातक साबित हो सकती है। दूसरी ओर, अगर सख्त कार्रवाई की जाती है, तो इससे भाजपा के भीतर और असंतोष फैल सकता है।
अनिल विज का यह जवाब भाजपा के लिए एक कड़ी परीक्षा है। क्या पार्टी उन्हें मनाने की कोशिश करेगी, या उनके खिलाफ कड़े कदम उठाएगी? आने वाले दिनों में भाजपा हाईकमान की कार्रवाई तय करेगी कि यह मामला सुलझेगा या और बढ़ेगा।
विज का बयान इस बात का संकेत है कि भाजपा के अंदर सब कुछ ठीक नहीं है। पार्टी नेतृत्व को अब यह तय करना होगा कि इस विवाद को कैसे सुलझाया जाए ताकि पार्टी की छवि को नुकसान न पहुंचे।