कोच्चि : केरल के कोच्चि शहर में स्थित एक मार्केटिंग कंपनी हिंदुस्तान पावरलिंक्स की भयावह और अमानवीय कार्यशैली सामने आई है। इस कंपनी में कर्मचारियों के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया जा रहा है, जिससे मानवाधिकारों की गंभीर अनदेखी हो रही है। हाल ही में सामने आए एक वीडियो फुटेज ने इस अमानवीयता की पोल खोल दी है, जिसमें दिखाया गया है कि किस तरह टारगेट पूरा न करने वाले कर्मचारियों को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।
वीडियो फुटेज से हुआ खुलासा
कलूर जनता रोड स्थित इस कंपनी की एक शाखा से प्राप्त फुटेज में साफ दिखाई दे रहा है कि कर्मचारियों को जानवरों जैसा व्यवहार करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर, कुछ कर्मचारियों की गर्दन में बेल्ट बांधकर उन्हें कुत्ते की तरह रेंगने और पानी पीने को मजबूर किया गया। इतना ही नहीं, उन्हें सड़े हुए फल जमीन से उठाकर चाटने के लिए भी मजबूर किया गया। इन भयावह गतिविधियों का उद्देश्य था-उन्हें डराकर अगले दिन बेहतर प्रदर्शन करने के लिए विवश करना। कर्मचारियों को मानसिक रूप से इस कदर तोड़ दिया जाता है कि वे मजबूरी में अपमानजनक कृत्य करने को तैयार हो जाते हैं।
मानवता को शर्मसार करने वाले अत्याचार
इन घटनाओं में सबसे घिनौनी बात यह है कि कुछ कर्मचारियों को कमरे के बीचों-बीच पैंट उतारकर एक-दूसरे के गुप्तांग पकड़ने जैसे अमानवीय कृत्यों के लिए मजबूर किया गया। इसके अलावा, उन्हें किसी अन्य का चबाया हुआ फल लेकर थूकना, फर्श से सिक्के चाटना, और कुत्ते की तरह पेशाब करने जैसे अपमानजनक कार्य करने को कहा गया।
ऐसे अमानवीय अत्याचार केवल पुरुषों पर ही नहीं बल्कि महिलाओं पर भी किए गए हैं। यह केवल यौन उत्पीड़न या मानसिक उत्पीड़न तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक संगठित संस्थागत शोषण का हिस्सा है जो सिस्टम के नाम पर कर्मचारियों पर थोपा जा रहा है।
कम वेतन, ज्यादा टारगेट
हिंदुस्तान पावरलिंक्स में काम करने वाले अधिकतर कर्मचारी बेहद मामूली वेतन पर काम कर रहे हैं। एक सामान्य कर्मचारी को महीने के केवल ₹6,000 से ₹8,000 तक का वेतन दिया जाता है, जबकि उनसे दिनभर घर-घर जाकर मार्केटिंग करने का कार्य कराया जाता है। इसके बावजूद, यदि वे अपने टारगेट को पूरा नहीं कर पाते हैं तो उन्हें शोषण और धमकियों का सामना करना पड़ता है। कंपनी उन्हें उच्च पद और ज्यादा वेतन का झांसा देकर लगातार मानसिक दबाव बनाती है। परंतु हकीकत में यह केवल एक लालच है, जिससे कर्मचारियों को शोषण की चक्रव्यूह में फंसा कर रखा जाता है।
डर और धमकी का माहौल
कई कर्मचारी इस अमानवीयता के खिलाफ आवाज़ नहीं उठाते क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं उन्हें नौकरी से न निकाल दिया जाए या किसी तरह की धमकी का सामना न करना पड़े। जो लोग विरोध करने की कोशिश करते हैं, उन्हें आगे और भी घिनौने परिणाम भुगतने के लिए धमकाया जाता है। कंपनी के अंदर एक भय का वातावरण बना दिया गया है जहां शोषण को “प्रेरणा” या “सुधार” के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
पहले भी हो चुकी हैं शिकायतें
हिंदुस्तान पावरलिंक्स के खिलाफ यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की शिकायत सामने आई है। इसके पहले भी इस कंपनी पर कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार के आरोप लगे थे, लेकिन उन मामलों को दबा दिया गया या उन्हें हल्के में लिया गया। इस बार सामने आए वीडियो फुटेज ने फिर से इस कंपनी के क्रूर चेहरे को उजागर कर दिया है।
मानवाधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया
इस घटना के सामने आने के बाद विभिन्न मानवाधिकार संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और स्थानीय प्रशासन से इस मामले में जल्द से जल्द जांच शुरू करने की मांग की है। साथ ही, कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की भी मांग की गई है ताकि आगे किसी भी कर्मचारी के साथ इस तरह का दुर्व्यवहार न हो।
प्रशासन से कार्रवाई की मांग
स्थानीय प्रशासन को अब इस मामले की गंभीरता को समझते हुए उचित जांच और कार्यवाही करनी चाहिए। यह केवल एक कंपनी का मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे कॉर्पोरेट कल्चर और श्रमिक अधिकारों पर सवाल उठाता है। यदि ऐसे मामलों को समय रहते नहीं रोका गया, तो आने वाले समय में और भी कंपनियां इसी तरह के उत्पीड़न को “डिसिप्लिन” के नाम पर आगे बढ़ा सकती हैं।
हिंदुस्तान पावरलिंक्स में उजागर हुई अमानवीयता केवल एक कंपनी की सीमाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज के उस काले पक्ष की ओर इशारा करता है, जहां मानवता, गरिमा और श्रमिक अधिकारों को दरकिनार कर केवल “परफॉर्मेंस” और “टारगेट” को महत्व दिया जा रहा है। यह आवश्यक है कि समाज, प्रशासन और न्याय व्यवस्था ऐसे मामलों पर त्वरित और सख्त कदम उठाए ताकि हर कर्मचारी को एक सुरक्षित और सम्मानजनक कार्यस्थल मिल सके।