गढ़शंकर। :
रटनों(मक्के) वाले हाथों व ब्याईओं वाले पैर (फटी एडिय़ां) को समर्पित पवन भम्मियां दुारा लिखत ‘हुण तां जागो’ शानादार काव्य संग्रह गुरूओं पीरो के समय से लेकर आधुनिक समय का दर्शाता हूया और गुरूओं व देश भक्तों की कुबार्नियों व उनके सुपनों की याद दिलाता हुया सरकारों पर जमकर चोट करता है।
गढ़शंकर के गांव भम्मियों के रहने वाले पवन भम्मियां दोआबा साहित्य सभा, पंजाब के अध्यक्ष के तौर पर भी शानदार सेवाए निभा रहे है। पवन भम्मियां हुण तां जागो काव्य संग्रह में हर वर्ग का मसला उठाया गया है। जिससे कवि पवन भम्मियां में हर वर्ग की रोजमर्रा की तकलीफों और दिलों में छुपाए दुखों को उजागर करने के लिए दिल की गहराईओं से कलम को चलाते हुए शब्दों को जिस तरह से कलमबंद्ध किया। उससे साफ है कि पवन भम्मियां कवि के साथ दिल से उन लोगो को दुख दर्द को समझते है। जिनके दुख दर्द को बाटनें वाला कोई नहीं है। पवन भंमियां दुारा लिखे कव्य संग्रह का हर घर , सरकारी व प्रशासनिक गलियारों ताकतों तक पहंचाना आवश्यक ताकि उन्हें आम लोगो के दुख दर्द को समझ कर उनकी समस्याओं के समाधान के लिए योजनाए बनाने के लिए इस कावि संग्रह का फायदा उठा सके।
कावि संग्रह में लोगो की बदहाल आर्थिक स्थिति को दर्शाश गया है तो समाजिक असमानता का शिकार हो रहे लेागो की अवाज उठाई गई। महिलाओं के दुखों व उनकी समस्याओं, महंगाई, गरीबी, नशे, दहेज, भ्रूण हत्या, पखंडी साधूओं, मिलावटखोरी, पानी की कमी, वातावरण के प्रदूषित होने, बुढापे की स्थिति, चुनाव में वोट की कीमत कैसे लगती के बारे में व अनेक किसम की समाजिक बुराईओं का वर्णन कर हर सच्चाई को ब्यां करने की कोशिश की गई है। अजादी कविता लिख कर पवन भम्मियां ने साफ कर दिया कि देश तो अजाद हो गया लेकिन शहीदे-ए-आजम भगत सिंह के सुपनों की अजादी आज भी आम लोगो के घर तक नहीं पहुंची है। जिसके चलते समाज में असमानता बढ़ती जा रही है और आम लोगो को देश के अजाद होने के बावजूद अजादी का सुख नहीं मिल रहा।