आगनवाड़ी वर्कर्स और हेल्परों ने ब्लॉक सीडीपीओ कार्यालय के सामने जोरदार प्रदर्शन करने के बाद अपनी मांगों का ज्ञापन सीडीपीओ के माध्यम से केंद्रीय मंत्री को भेजा

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नवांशहर : बाल अधिकार दिवस के अवसर पर, आईसीडीएस की पचासवीं वर्षगांठ मनाने और इसे मजबूत करने के लिए * *एफआरएस और ई. केवाईसी जैसी अनावश्यक शर्तों को वापस लेने की मांगों को लेकर अखिल भारतीय फेडरेशन, आंगनवाड़ी वर्कर्स यूनियन पंजाब (सीटू) के आह्वान पर, आंगनवाड़ी वर्कर्स और हेल्परों ने ब्लॉक नवांशहर जिला शहीद भगत सिंह नगर के बाल विकास प्रोजेक्ट अफसर कार्यालय के सामने एकत्र होकर जोरदार प्रदर्शन करने के बाद अपनी मांगों के लिए सीडीपीओ के माध्यम से विभाग की केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी को एक ज्ञापन भेजा।


जिला महासचिव और ब्लॉक अध्यक्ष लखविंदर कौर ने आंगनवाड़ी वर्कर्स व हेल्परों का दर्द बयां करते हुए कहा कि बाल दिवस के अवसर पर हम भारत के 26 लाख से अधिक आंगनवाड़ी वर्कर/हेल्पर देश में 6 वर्ष से कम आयु के लगभग 8 करोड़ बच्चों की देखभाल करते हैं। लेकिन महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने आईसीडीएस योजना के 50 वर्ष पूरे होने पर हमें पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है। यह बहुत दुख की बात है कि 2 अक्टूबर 1975 से देश के लाखों बच्चों और महिलाओं के पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा में बहुत बड़ा योगदान देने वाली इस ऐतिहासिक योजना की 50वीं वर्षगांठ पर सरकार ने न केवल आईसीडीसी योजना की अनदेखी तो की ही है। इसके इलावा आंगनवाड़ी वर्करों और हेल्परों के अमूल्य योगदान को भी नजरअंदाज किया जा रहा है।


यह हज़ारों फ्रंटलाइन वर्कर्स के अपमान हैं। जिन्होंने ने मानदेय जैसी मामूली राशि के लिए वर्षों तक समाज के लिए अपार त्याग किया है।
उन्हीनों कहा कि हम मांग करते हैं कि मंत्रालय उचित आयोजन करे और आईसीडीएस की स्वर्ण जयंती को उचित तरीके से मनाने की व्यवस्था करे। ब्लॉक कैशियर संगीता देवी ने कहा कि आंगनवाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स की समस्याएँ तो वैसे ही हैं, लेकिन अब आंगनवाड़ी लाभार्थियों के सामने भी एक बड़ी समस्या आ गई है। सरकार ने राशन पाने के लिए उनके लिए एफआरएस (हर बार 200-300 ग्राम राशन के लिए चेहरे की पहचान) अनिवार्य कर दिया है। ऐसी शर्तें लगाकर उन्हें राशन से वंचित कर देना चाहिए। बजट बढ़ाने की बजाय सरकार पोषण ट्रैकर और मॉनिटरिंग के नाम पर लाभार्थियों को लाभ से वंचित करना चाहती है।


ब्लॉक सचिव कमलजीत कौर ने कहा कि एक और बात है कि एफआरएस न होने के कारण विभागीय अधिकारियों द्वारा कार्यकर्ताओं को कड़ी चेतावनी भी जारी की गई है और जिन लाभार्थियों का एफआरएस नहीं हो सका है, उन्हें सूची से हटाने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जो कि बच्चों के भोजन अधिनियम के खिलाफ है। अखिल भारतीय फेडरेशन, आंगनवाड़ी वर्कर्स यूनियन पंजाब (सीटू) यह स्पष्ट करना चाहता है किआईसीडीएस एक योजना नहीं बल्कि देश के भविष्य को उजागर करने के लिए एक विशेष दृष्टिकोण है। इसे नजरअंदाज करना देश के बच्चों और महिलाओं के हितों की अनदेखी करना है। इस दौरान रेवल कौर, सुखविंदर कौर, परमजीत कौर, कश्मीर कौर, रेनू ठाकुर, सतवंत कौर, कांता देवी अपने मंडल की सभी वर्कर्स और हेल्परों के साथ शामिल हुई।

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