खनौरी बॉर्डर : अपनी मांगों को लेकर हरियाणा और पंजाब के बीच खनौरी बॉर्डर पर किसान लंबे समय से धरने पर बैठे हैं। इन्हीं में से एक किसान जगजीत सिंह डल्लेवाल 15 दिन से आमरण अनशन पर हैं. इस बीच प्रदर्शनकारी किसानों ने मंगलवार को डल्लेवाल के नेतृत्व में भूख हड़ताल करके अपना विरोध तेज कर दिया है। धरना स्थल पर एक भी चूल्हा नहीं जला है, लंगर (सामुदायिक भोजन) सहित भोजन की तैयारी पूरी तरह से बंद है. किसानों ने आस-पास के ग्रामीणों से भी अनुरोध किया है कि वे धरना स्थल पर कोई भी भोजन न लाएं.
उधर, डल्लेवाल की तबीयत खराब हो गई है. वह पहले से ही कैंसर के मरीज हैं. ऐसे में किसान इससे एक दिन पहले सोमवार को किसान नेता सरवन सिंह पंढेर डल्लेवाल से मिलने खनौरी बॉर्डर पहुंचे थे. इसके बाद किसान नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा था कि जगजीत डल्लेवाल की किडनी और लिवर डैमेज हो रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया था कि सरकार असंवेदनशील है. किसानों के मुद्दों को लेकर ना सरकार गंभीर है और ना विपक्ष। उन्होंने कहा था कि जगजीत डल्लेवाल को कुछ भी हुआ और उसके बाद जैसी भी स्थति होगी, उसकी जिम्मेदारी प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और केंद्र सरकार की होगी. पंजाब सरकार के अधिकारी शंभू और खनौरी बॉर्डर पहुंचे थे. जगजीत डल्लेवाल के इर्द-गिर्द ट्रॉलियों की बैरिकेडिंग लगाई गई है. उन्होंने कहा कि अगर पंजाब सरकार हमारे लिए चिंतित है, तो वह केंद्र पर दबाव बनाए.
बिक्रम मजीठिया ने केंद्र पर साधा निशाना : अकाली दल नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने केंद्र पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि डल्लेवाल कैंसर के मरीज हैं। यह साफ है कि अगर भारत सरकार हस्तक्षेप नहीं करती है तो परिणाम गंभीर हो सकते हैं। यह बहुत दुखद है कि अगर 101 किसान पैदल ही जाना चाहते हैं तो इसमें क्या बुराई है? अगर वे दिल्ली नहीं जा सकते तो सरकार लोकतंत्र की रक्षा करने में विफल हो रही है. अगर डल्लेवाल के साथ कुछ भी गलत हुआ तो भाजपा सरकार जिम्मेदार होगी।
13 फरवरी से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डटे हैं किसान : बता दें कि सुरक्षा बलों द्वारा दिल्ली की ओर मार्च रोके जाने के बाद 13 फरवरी से किसान पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं। किसानों ने इससे पहले 13 फरवरी और 21 फरवरी को दिल्ली की ओर मार्च करने का प्रयास किया था, लेकिन सीमा बिंदुओं पर तैनात सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक दिया था. फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं, पुलिस मामलों को वापस लेने और 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए “न्याय” की मांग कर रहे हैं. भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करना और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा देना भी उनकी मांगों का हिस्सा है।