एएम नाथ। हमीरपुर : साइबर अपराधियों ने भारतीय सेना के एक सेवानिवृत्त कर्नल और उनकी पत्नी को कथित तौर पर ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर उनसे 49 लाख रुपये ठग लिए। पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। शिकायतकर्ता को व्हॉट्सएप पर एक वीडियो कॉल आया जिसमें एक व्यक्ति ने खुद को ‘मुंबई अपराध शाखा का अधिकारी’ बताया।
जालसाज ने दावा किया कि सेवानिवृत्त अधिकारी के आधार कार्ड का इस्तेमाल चार सिम खरीदने और मुंबई में एक बैंक खाता खोलने के लिए किया गया था। उसने यह भी कहा कि बैंक खाते का इस्तेमाल दो करोड़ रुपये की ठगी करने के लिए किया गया था। जालसाज ने दंपति के बैंक खातों की जांच का डर दिखाया। पिछले माह 23 तारीख को पहली बार उन्हें जालसाजों का कॉल आया। सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी की शिकायत के अनुसार वीडियो कॉल पर रहते हुए ही आरोपी ने अपने खाते में आरटीजीएस (रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) के माध्यम से रुपये अंतरित करा लिए। यह दावा करते हुए कि दंपति के धन के स्रोत की जांच की जा रही है आरोपियों ने रुपये मांगे और शिकायतकर्ता ने 29 मार्च को नौ लाख रुपये और चार अप्रैल को 40 लाख रुपये अंतरित कर दिए।
दंपति को सात अप्रैल तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ रखा। जब उन्हें एहसास हुआ कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई तो दंपति ने 10 अप्रैल को पुलिस से संपर्क किया। मंडी के साइबर अपराध पुलिस थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है और कुछ संदिग्ध खातों में जमा 5.58 लाख रुपयों का लेन-देन रोक दिया गया। पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने दंपति द्वारा अंतरित किए गए रुपयों को 22 खातों में डाल दिया।
पुलिस उप महानिरीक्षक (साइबर अपराध) मोहित चावला ने कहा कि कानून में ‘डिजिटल अरेस्ट’ का कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा, ”धोखेबाजों के झांसे में न आएं और अपनी जमापूंजी न गंवाएं। अगर आपको ऐसा कोई कॉल या मैसेज मिले तो हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें।” ‘डिजिटल अरेस्ट’ साइबर ठगी का नया तरीका है।
हालांकि, ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसी किसी प्रक्रिया का हकीकत में कोई कानूनी वजूद नहीं होता। ऐसे मामलों में ठग खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताकर लोगों को ऑडियो या वीडियो कॉल करके डराते हैं और उन्हें गिरफ्तारी का झांसा देकर उनके ही घर में डिजिटल तौर पर बंधक बना लेते हैं।