प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा उल्लंघन के मामले में 25 किसानों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। पीएम मोदी की सुरक्षा उल्लंघन का मामला तीन साल पुराना है, जब वो 5 जनवरी, 2022 को पंजाब के फिरोजपुर दौरे पर थे, तभी उनकी सुरक्षा का उल्लंघन हुआ था।
जिन 25 लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है उसमें भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी) और क्रांतिकारी पेंडू मजदूर यूनियन के 25 सदस्य शामिल हैं। सुरक्षा उल्लंघन के एक दिन बाद 6 जनवरी, 2022 को अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 283 (सार्वजनिक मार्ग में बाधा डालना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जो एक जमानती अपराध है। हालांकि,एफआईआर पर भाजपा नेताओं द्वारा उठाई गई आपत्तियों के बाद तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन किया गया था। जांच के आधार पर, आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास), 353 (लोक सेवक पर हमला), 341 (गलत तरीके से रोकना), 186 (कर्तव्य में बाधा डालना), 149 (अवैध रूप से एकत्र होना) और राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम की धारा 8-बी सहित अतिरिक्त आरोप जोड़े गए थे।
एफआईआर में 26 लोगों के नाम शामिल थे, जिनमें बीकेयू क्रांतिकारी के महासचिव बलदेव सिंह जीरा, अन्य यूनियन सदस्य और क्रांतिकारी पेंडू मजदूर यूनियन के नेता शामिल हैं। हालांकि, अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। आरोपियों में से एक मेजर सिंह की मौत हो चुकी है, जिसके बाद 25 लोगों को गिरफ्तारी का सामना करना पड़ रहा है।
फिरोजपुर कोर्ट द्वारा 3 जनवरी 2025 को जारी गिरफ्तारी वारंट के अनुसार, कई समन और वारंट के बावजूद आरोपी कोर्ट में पेश नहीं हुए। कुलगढ़ी थाने के स्टेशन हाउस ऑफिसर को 22 जनवरी तक उन्हें गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया गया है।
इंडियन एक्सप्रेस ने जब पुलिस अधीक्षक (जांच) रणधीर कुमार से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि मामले की जांच जारी है। फिरोजपुर पुलिस ने गिरफ्तारी वारंट जारी होने की पुष्टि की है। सूत्रों ने बताया कि आरोपियों को पकड़ने के लिए छापेमारी की जा रही है। बीकेयू क्रांतिकारी के अध्यक्ष सुरजीत सिंह फूल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि आरोपियों में से एक, पियारेना के कमलजीत सिंह (37) ने अग्रिम जमानत के लिए अपील दायर की है, लेकिन जिला सत्र न्यायाधीश वरिंदर अग्रवाल ने 14 जनवरी को याचिका खारिज कर दी थी । फुल ने आरोप लगाया कि पंजाब पुलिस आरोपियों को गिरफ्तारी वारंट भेज रही है और उनके घरों पर छापेमारी कर रही है, परिवार के सदस्यों पर जांच में शामिल होने का दबाव बना रही है। यह केंद्र सरकार के इशारे पर प्रदर्शनकारी किसानों को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि हम सरकार को चेतावनी दे रहे हैं कि वह किसानों को निशाना न बनाए। हत्या के प्रयास के आरोप निराधार हैं, क्योंकि फ्लाईओवर पर कोई टकराव नहीं हुआ। हम संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के आह्वान पर पीएम के दौरे का शांतिपूर्ण विरोध कर रहे थे। एफआईआर और उसके बाद की कार्रवाई यूनियन नेताओं को डराने के लिए केंद्र सरकार के दबाव का नतीजा है।
फूल ने नवंबर में हुई एक घटना का भी जिक्र किया। इससे पहले, पंजाब पुलिस ने 25-26 नवंबर की रात को खनौरी बॉर्डर से जगजीत सिंह डल्लेवाल को भूख हड़ताल से पहले जबरन उठा लिया था। लेकिन बाद में उन्हें 29 नवंबर को रिहा कर दिया गया। उस समय उन्होंने हमारे भूख हड़ताल कार्यक्रम को विफल करने का प्रयास किया। हमने पंजाब सरकार को चेतावनी दी है कि वह केंद्र सरकार के नक्शेकदम पर न चले।
जिन किसानों को वारंट जारी किए गए हैं उनमें कमलजीत सिंह, बलदेव सिंह जीरा, लखविंदर सिंह, अवतार सिंह, ज्ञान सिंह और कई अन्य शामिल हैं। फूल ने कहा कि छापेमारी करके पुलिस का उद्देश्य किसानों को छिपने पर मजबूर करना है, जो अन्यथा शंभू और खनौरी सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन में लगे हुए हैं।
बता दें, 5 जनवरी, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को श्रद्धांजलि देने के लिए हुसैनीवाला जा रहे थे। इसके बाद उन्हें पियाराना फ्लाईओवर के पास पीजीआई फिरोजपुर के सैटेलाइट सेंटर की आधारशिला रखनी थी। हालांकि, मुख्य रूप से भारती किसान यूनियन (क्रांतिकारी) और क्रांतिकारी पेंडू मजदूर यूनियन के प्रदर्शनकारियों ने फ्लाईओवर को अवरुद्ध कर दिया, जिससे प्रधानमंत्री का काफिला बठिंडा हवाई अड्डे पर वापस लौट आया। नतीजतन, वे किसी भी कार्यक्रम में शामिल हुए बिना दिल्ली लौट आए। उल्लेखनीय है कि उस दिन पंजाब में बारिश हो रही थी और प्रधानमंत्री की रैली में लोगों की संख्या कम थी। प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण, प्रधानमंत्री ने हेलीकॉप्टर के बजाय बठिंडा हवाई अड्डे से सड़क मार्ग से यात्रा करना चुना था।