चंडीगढ़ : पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) की सीनेट और सिंडिकेट में किए गए बदलाव का आदेश अब केंद्र सरकार ने वापस ले लिया है. ये निर्णय शिक्षा मंत्रालय ने उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों, वाइस-चांसलर, पूर्व वाइस चांसलर्स, शिक्षकों और छात्र संगठनों से मिले सुझावों पर विचार करने के बाद लिया है।
अब यूनिवर्सिटी में पहले वाली पारंपरिक व्यवस्था ही लागू रहेग।
बता दें कि इस मामले में केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है. केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने यह घोषणा की. अपने फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट किए गए लगभग तीन मिनट के वीडियो में रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह कभी भी पंजाब के खिलाफ किसी भी तरह की जबरदस्ती नहीं चाहते हैं।
छात्रों को विरोध प्रदर्शन करने की जरूरत नहीं : मंत्री ने कहा कि उन्हें पंजाब के बारे में सटीक जानकारी देने के लिए कैबिनेट में रखा गया है. उन्होंने आश्वासन दिया कि इस मामले पर अधिसूचना जारी कर दी गई है. मंत्री ने कहा कि वह कृषि कानूनों जैसा लंबा विरोध नहीं चाहते. बिट्टू ने कहा कि किसी भी छात्र को विरोध प्रदर्शन करने की जरूरत नहीं है. जल्द ही कोई फैसला लिया जाएगा. वीडियो में उन्होंने हाथ जोड़कर माफी भी मांगी।
गोपनीय तरीके से सीनेट को भंग करने का फैसला : गौरतलब है कि केंद्र सरकार को विरोध प्रदर्शनों का पहले से ही अंदेशा था, जिसके चलते सीनेट को भंग करने का फैसला बेहद गोपनीय तरीके से लिया गया और जिसके बाद छात्र संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया. वहीं अब केंद्र सरकार और बीजेपी बैकफुट पर नजर आ रही है. हालांकि, इसकी वजह आगामी उपचुनाव या अगले साल पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव हो सकते हैं।
सीनेट-सिंडिकेट भंग करने के विरोध में संघर्ष : पंजाब विश्वविद्यालय (पीयू) में सीनेट-सिंडिकेट भंग करने के विरोध में संघर्ष लगातार तेज होता जा रहा था. आने वाले दिनों में पंजाब भर से किसानों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के विश्वविद्यालय में इकट्ठा होने की उम्मीद थी. हालांकि, बड़ी संख्या में लोग पहले ही विरोध प्रदर्शन में आने लगे थे. दिन में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता वहां पहुंचे और विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए. पंजाबी गायक भी वहां जमा हुए, जिनमें फिल्म निर्देशक अमितोज मान, गायक बब्बू मान और जसबीर जस्सी शामिल थे।
