चंडीगढ़ : पंजाब में लगातार बारिश से हालात बेहाल हैं। सतलुज, ब्यास और रावी का पानी गांव-गांव में फैल गया है। पठानकोट से अमृतसर तक तबाही का मंजर है। खेत डूब गए, घर उजड़ गए और लोग बेघर हो गए। जनता कह रही है कि यह अल्लाह का इम्तिहान है।
हज़ारों लोग बेघर होकर राहत कैंपों में पनाह ले रहे हैं। गांवों की गलियों में नावें चल रही हैं। बचे-खुचे घरों में सिर्फ़ पानी और कीचड़ रह गया है। लोग अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी को लेकर परेशान हैं। बच्चे बीमार हो रहे हैं और बुज़ुर्ग बेबस हैं।
सरकार का बड़ा ऐलान : सीएम भगवंत मान ने एलान किया है कि वह, उनके सारे मंत्री और आम आदमी पार्टी के विधायक अपनी एक महीने की तनख़्वाह रिलीफ़ फंड में देंगे। उनका कहना है कि यह वक़्त सियासत का नहीं, बल्कि इंसानियत का है। उन्होंने लोगों से हौसला रखने की अपील की।
सोशल मीडिया पर अर्जी : मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर लिखा कि कोई भी क़ुदरत के क़हर के सामने खड़ा नहीं हो सकता। मगर इस वक़्त हमें एक-दूसरे का सहारा बनना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार और पूरा प्रशासन दिन-रात लोगों की मदद के लिए खड़ा है। उन्होंने दुआ की कि हालात जल्द संभल जाएं।
ज़मीनी हालात का जायज़ा : सीएम खुद बाढ़ प्रभावित इलाकों में जा रहे हैं। प्रशासन के अफसर 24 घंटे ड्यूटी पर हैं। गांवों में मेडिकल टीम और खाने-पीने का सामान पहुँचाया जा रहा है। किसान सबसे ज़्यादा तबाही झेल रहे हैं क्योंकि उनकी फसलें पूरी तरह डूब चुकी हैं।
विपक्ष भी सामने आया : विपक्षी दलों ने भी सरकार से और तेज़ राहत कार्य करने की मांग की है। उनका कहना है कि लोगों को सिर्फ़ आश्वासन से नहीं बल्कि असली मदद से राहत दी जाए। कई संगठनों ने भी खाना, कपड़ा और दवाइयां बांटने की शुरुआत कर दी है।
जनता की उमीदें बचीं : लोग मान रहे हैं कि सरकार अगर ईमानदारी से काम करे तो उन्हें इस मुसीबत से निकाला जा सकता है। जनता कह रही है कि यह वक़्त मिलकर खड़े होने का है। एक बुज़ुर्ग ने कहा, “जान बची है तो सब कुछ दोबारा बनाया जा सकता है, बस सरकार साथ रहे।”