मोहाली : मोहाली अदालत ने पंजाब पुलिस के बर्खास्त एआईजी राजजीत सिंह को भगोड़ा करार दे दिया है। राजजीत सिंह करोड़ों रुपये की नशा तस्करी, जबरन वसूली और भ्रष्टाचार के केस में मार्च महीने से फरार चल रहा है। स्पेशल टास्क फोर्स अब तक 600 से अधिक जगह पर उसकी तलाश में दबिश दे चुकी है। राजजीत को हाईकोर्ट से भी झटका लग चुका है। पंजाब में करोड़ों रुपये के नशा तस्करी केस में सीलबंद रिपोर्ट खुलने के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सहायक एआईजी राजजीत सिंह हुंदल को बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद से राजजीत सिंह फरार है।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सूबे में नशा तस्करी की जांच के लिए 2017 में विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था। एसआईटी ने जांच करने के बाद चार सीलबंद रिपोर्ट हाईकोर्ट में दाखिल की। इनमें से तीन रिपोर्ट को हाईकोर्ट ने खोलकर पंजाब सरकार को कार्रवाई के लिए भेजी थी। इन्हीं रिपोर्ट के आधार पर एआईजी राजजीत सिंह हुंदल के खिलाफ कार्रवाई की गई थी।
अपने ही जाल में फंसा राजजीत : एसटीएफ के तत्कालीन प्रमुख एडीजीपी हरप्रीत सिंह सिद्धू की अगुवाई में टीम ने तत्कालीन इंस्पेक्टर (इस समय जेल में) इंद्रजीत सिंह को छह किलो हेरोइन के साथ गिरफ्तार किया था। इस मामले की जांच आगे बढ़ी तो पुलिस अधिकारी राजजीत सिंह सवालों के घेरे में आ गए। बचाव के लिए उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की कि उनके खिलाफ सिद्धू का नकारात्मक व पक्षपाती रवैया रहा है। उसे झूठा फंसाया जा रहा है। जिस पर हाईकोर्ट ने पूर्व डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय के नेतृत्व में एक एसआईटी गठित की और एसआईटी को जांच के लिए दो पहलू दिए। पहला- क्या एडीजीपी हरप्रीत सिंह सिद्धू याचिकाकर्ता के खिलाफ पक्षपाती थे? दूसरा, क्या पंजाब में राजजीत सिंह और ड्रग तस्करों के साथ इंद्रजीत की सांठगांठ थी? एसआईटी ने इन पहलुओं पर जांच आगे बढ़ाई और दूसरे पहलू पर पाया कि नशा तस्करों और चार पुलिस अधिकारियों के साथ इंद्रजीत की सांठगांठ थी। इनमें तीन पंजाब पुलिस सेवा अधिकारी (पीपीएस) और एक पंजाब कैडर का आईपीएस अधिकारी है। दूसरे पहलू में तस्वीर साफ होते ही यह मामला भी सुलझ गया कि हरप्रीत सिद्धू के खिलाफ राजजीत द्वारा याचिका में लगाए गए आरोप झूठे निकले।