अजायब सिंह बोपाराय/ एएम नाथ । शिमला : हिमाचल प्रदेश में एक और बर्फबारी से मौसम ठंडा हो रहा है तो दूसरी और हिमाचल की राजनीति में बढ़ रही गर्मी ठंडा होने का नाम नही ले रही। जिससे सुक्खू सरकार पर लगातार संकट बरक़रार है। हालांकि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू अब खुद की कुर्सी बचाए रखने और सरकार को बचाने के लिए भाजपा के खेल को पूरी तरह समझते हुए उसे मात देने के लिए आक्रामक राजनीतिक खेल खेलने के मूड में आ चुके है।
आगर मुख्यमंत्री सुक्खू जब बग़ावत के खबरें छन छन कर बाहर आ रही थी उस समय आक्रामक हो जाते तो इतना बढ़ा खेला होने से रोका जा सकता था। हालांकि सतलुज ब्यास टाइम्स ने कई बार साफ लिख दिया था कि खेला होने वाला है।
हिमाचल में दो दिन पहले कांग्रेस पर्यवेक्षकों के आने पर जो राजनीति शांत दिखाई देने लगी थी। अब एक बार फिर हिमाचल प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री लगातार राजनीतिक तपस बढ़ाते दिखाई दे रहे है । गुरुवार शाम को कांग्रेस के बागियों से चंडीगढ़ में एक निजी होटल में मिले और दिल्ली रवाना हो गए। सूत्रों की माने तो वह कुछ भाजपा के नेताओं से भी मिले और अब दिल्ली में डेरा लगाए हुए है।
इसी बीच विक्रमादित्य सिंह ने फेसबुक प्रोफाइल से मंत्री का टैग और इंडियन नेशनल कांग्रेस हटा दिया और हिमाचल का सेवक लिख दिया है। जिसके बाद के दिनों से चल रही अटकलों ने जोर फिर से पकड़ लिया कि क्या विक्रमादित्य दुआरा कांग्रेस को अलविदा कहने का यह स्पष्ट संकेत है। हालांकि अभी तक कुुुह साफ नही लेकिन यह अटकलों का दौर तेज हो गया है। विक्रमादित्य कैम्प पूरी तरह चुप्पी साधे हुए है और कोई कोई पुुुखता जानकारी बाहर निकल कर नही आ रही है। इसके बावजूद कल उनकी माता और काग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिह के जिस तरह से स्पप्ष्ट कहा था कि आज कांग्रेस में है कल का पता नही, और देर शाम उन्हीनों फिर पलटते हुए कहा के हुम् कहीं जाने वाले नही कांग्रेस में ही है। विक्रमादित्य निजी काम से गए है। जिसके बाद विक्रमादित्य दुआरा फेसबुक प्रोफाइल से इंडियन नैशनल कांग्रेस हटाना कुुुछ और ही इशारा करता है।
उधर भाजपा हाइकमान दुआरा नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर और प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल को शिमला में रुकने के लिए कहने के पीछे कहीं ऑपरेशन लोटस को अंजाम तक पहुंचाने के लिए कोई रणनीति तो नही चल रही। हालांकि मुख्यमंत्री सुक्खू ने कल अटकलों को विराम लगाने के लिए बयान दिया था के विक्रमादित्य को उन्हीनों ने ही भेजा है। लेकिन यह एक राजनीतिक बयान से ज्यादा कुछ नही लगता।
विक्रमादित्य सिंह के साथ कितने MLA है इस पर अभी तक सस्पेंस बना हुआ है। भाजपा भी शायद देख रही है कि विक्रमादित्य कितने एमएलए आने साथ लेकर आते है। उसके बाद ही कोई अगला कदम उठाया जाए। लेकिन सुक्खू ने जिस तरह अब कल होल्लीलॉज कैम्प के एमएलए नंद लाल को वित्त कमिशन का चेयरमैन लगा दिया और कैबिनेट रैंक दिया है। उससे साफ है कि अब सुक्खू भी हर तरह से लड़ाई लड़ने के मूड में आ चुके है। लेकिन माना जा रहा है के अगर स्पीकर दुआरा बागियों के सदस्यता रद्द करने के बाद अदालत में बागियों के जाने पर कोई राहत मिलती है या नहीं। इस पर बहुत कुछ सुक्खू सरकार का भबिष्य निर्भर करता है। अगर अदालत ने उन्हें राहत दे दी तो और एमएलए बगावत कर दे इस बात से इंकार नही किया जा सकता। अगर राहत नही मिली तो और कोई एमएलए बगावत करने के परहेज करेगा।
अब आज के घटनाक्रम को देखना होगा कि आज विक्रमादित्य सिंह भाजपा के किसी बड़े नेता को मिलते या कोई और कदम उठाते या नही। यह भी हो सकता नाराज विक्रमादित्य सिंह हालात पक्ष में ना होने के चलते बैकफुट पर आकर कांग्रेस हाईकमान से मिलकर अपनी बात रखे और कांग्रेस हाईकमान उनकी नाराजगी दूर कर दें और उन्हें भविष्य के लिए कोई प्लान दे और उस पर विक्रमादित्य सहमत होकर वापिस शिमला लौट कर बयान दे कि मैं कांग्रेस में हूं कांग्रेस में रहूंगा। अब यह आज के घटनाक्रम के बाद साफ होगा के विक्रमादित्य सिंह का अगला कदम क्या होगा। हालांकि अभी तक यह सभी कुछ अटकलों और सूत्रों पर आधारित है।