होशियारपुर/दलजीत अजनोहा : प्राचीन शिव मंदिर श्री पंडयान की ओर से पांच दिवसीय भगवान शिव कथा का आयोजन किया गया। जिसके अंतर्गत दूसरे दिन श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री मीमांसा भारती जी ने कहा कि परमात्मा मात्र दुष्टों का संहार करने ही अवतार लेकर नहीं आए, उनके अवतार का लक्ष्य भक्त का प्रेम पाना भी रहा है, क्योंकि प्रेम में अथाह शक्ति होती है। भक्त प्रेमवश ही प्रभु साकार रूप धारण कर लेते हैं और उनके आंगन में खेलने के लिए भी विवश हो जाते हैं। प्रभु प्रेम के भूखे हैं। भक्त ही उनकी शान हैं, उनकी मुकुटमणि हैं। प्रभु यदि सम्पूर्ण सत्व के साथ खिला हुआ पुष्प हैं तो भक्त वह भूमि है जो उस पुष्प को खिलने का अवसर प्रदान करती है। इसलिए तुलसीदास जी कहते हैं कि राम जी के चरित्र को आकाश जैसी ऊँचाई इसलिए मिल पाई क्योंकि उन्हें भरत के प्रेम जैसी ज़मीन मिल पाई। साध्वी जी ने कहा कि ऐसा प्रेम तब पैदा होता है जब एक भक्त उस भक्ति से जुड़ता है। इसलिए महापुरुष कहते हैं कि परमात्मा को जाने बिना यह प्रेम पैदा नहीं हो सकता। प्रकाश स्वरूपिणी जगजनी माँ जगदम्बा को अपने अंतःकरण में देख लेना ही ब्रह्म विद्या, यानी अपरा विद्या है, और इस विद्या को प्राप्त करके ही मनुष्य के भीतर विनय भाव आता है। इसलिए भगवान शिव का जागृत तीसरा नेत्र प्रेरित करता है कि हम भी पूर्ण गुरु की शरण प्राप्त कर अपना यह शिव-नेत्र जागृत कराएँ। जैसे ही हमारा यह नेत्र खुलेगा, हम अपने भीतर समाई ब्रह्म-सत्ता, जो कि प्रकाश स्वरूप में विद्यमान है, उसका साक्षात्कार करेंगे। शिव कथा के दूसरे दिन भी साध्वी रणे भारती, साध्वी राजविद्या भारती द्वारा सुमधुर ढंग से भजनों का गायन किया गया। कथा को प्रभु की श्री आरती के साथ विश्राम दिया गया, जिसमें सभी ने श्रद्धा से भाग लिया। कथा में विशेष रूप साध्वी अंजली भारती जी,में विजय कुमार(प्रधान), मदन लाल(उप प्रधान),राम आसरा (सेक्रेटरी),नवदीप ठाकुर (कैशियर),सुनील भारद्वाज ,सुभाष चंद, तिलक राज, संजीव कुमार, गौरव गोस्वामी, संसार चंद, अमरीक सिंह, हीरा लाल, मोहिंदर सिंह,
सुज्जल, अशोक कुमार ओर भारी मात्रा में श्रद्धालुगण और शहर के गणमान्य लोग उपस्थित थे।