रोहित जसवाल। बिलासपुर। धारणा को जिला बिलासपुर के उपमंडल घुमारवीं के तहत गलासीं गांव निवासी हरिमन शर्मा ने बदल दिया कि सेब के पौधे देखने हैं या फिर ताजे सेब का मजा लेना है तो प्रदेश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जाओ। गर्म इलाकों में तो केवल बाजार में ही सेब देखने को मिल सकता है। हरिमन शर्मा गणतंत्र दिवस पर पद्मश्री सम्मान के लिए नामित हुए हैं। इन्होंने गर्म क्षेत्र में सेब पैदा कर अपनी आर्थिक स्थिति तो मजबूत की साथ ही इसकी आपूर्ति कर पड़ोसी राज्यों में भी मिठास घोल रहे हैं।
हरिमन शर्मा ने कम ठंडे इलाकों में उगने वाली वाली सेब की किस्म ‘एचआरएमएन-99 विकसित की है। लो चिलिंग क्षेत्र वाली यह किस्म समुद्र तल से 1800 फीट की ऊंचाई में भी उग जाती है। सेब उत्पादन के इतिहास में यह नवाचार था। परंपरागत क्षेत्र का सेब जुलाई से सितंबर तक तैयार होता है मगर गर्म इलाके का यह सेब जून में तैयार हो जाता है।
हरिमन शर्मा की तैयार की गई इस प्रजाति के 14 लाख पौधे भारत, नेपाल, बांग्लादेश, जाम्बिया व जर्मनी के एक लाख बागबानों ने लगाए हैं। इसके अलावा छह हजार से अधिक लोगों को 1.9 लाख से अधिक पौधे वितरित किए हैं। हरिमन सेब के अलावा, अपने बाग में आम, कीवी और अनार के पेड़ भी उगाते हैं।
7 जुलाई 2007 वह 10 किलो सेब व पांच किलो आम लेकर शिमला स्थित सचिवालय में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल से मिलने पहुंचे और उन्हें बताया कि ये दोनों फल उन्होंने बिलासपुर में उगाए हैं। यह सेब 40-45 डिग्री तापमान वाले क्षेत्र में भी तैयार हो सकता है। इस पर तभी सीएम ने बैठक करके पनियाला स्थित उनके बगीचे का निरीक्षण करवाया। 15 अगस्त 2008 को सीएम ने उन्हें प्रेरणास्रोत सम्मान से सम्मानित किया। उनके लिए यह पहला सम्मान था। अब तक उन्हें 15 राष्ट्रीय अवार्ड, 10 राज्यस्तरीय अवार्ड व पांच अन्य अवार्ड प्राप्त हो चुके हैं।
हरिमन का कहना है कि पद्मश्री सम्मान का नाम सुनते ही वह आनंदित हैं। पुरस्कार को प्रोत्साहन समझकर और काम करेंगे। सेब के साथ-साथ वह वर्ष एवोकाडो लगाने का काम कर रहे हैं। इस पर ओर तेजी से काम किया जाएगा, क्योंकि यह फल काफी महंगा होता है और लोगों की पहुंच से दूर है। अगर इसकी उपलब्धता बढ़ती तो हर आदमी तक भी पहुंचेगा और इसका उत्पादन करने से बागवानों की आय का एक ओर मजबूत साधन विकसित होगा।