शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने विधानसभा बजट सत्र में प्रश्नकाल के दौरान विधायक राकेश कालिया, पवन काजल और रणधीर शर्मा के संयुक्त प्रश्न के जवाब में ये जानकारी दी है. हालांकि, हिमाचल प्रदेश में स्कूलों की संख्या नहीं घटी है, लेकिन इन स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है।
हिमाचल में वर्ष 2003-04 में मिडिल स्कूलों की संख्या 12,404 थी. उस दौरान इन स्कूलों में विद्यार्थियों की एनरोलमेंट 9 लाख 71 हजार 313 लाख थी. लेकिन, वर्तमान में 2023-24 के सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो स्कूलों की संख्या तो उतनी ही है, लेकिन छात्रों की संख्या घटकर 4,29,070 रह गई है। वर्ष 2002-03 में प्रदेश में शिक्षक-छात्र अनुपात 1:22 था, जिसमें 2023-24 में सुधार हुआ और ये अनुपात 1:11 हो गया है, जो देश में सबसे ज्यादा है. जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षक छात्रों के अनुपात का आंकड़ा 1:3 है. सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में गिरावट का कारण मूलभूत सुविधाओं की कमी और निजी स्कूलों की आई बाढ़ हैं।
आई गिरावट शिक्षा की गुणवत्ता में
हिमाचल प्रदेश शिक्षा 2019 तक के क्वालिटी एजुकेशन में दूसरे नंबर पर था. इससे पहले 2016 में गुणात्मक शिक्षा में हिमाचल देश का अग्रणी राज्य बन गया था. एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) 2016 में हिमाचल ने अन्य राज्यों को पछाड़ते हुए पहला स्थान हासिल किया था, जबकि शिक्षा के क्षेत्र में कई सालों तक टॉप-3 राज्यों में हिमाचल का नंबर आता रहा, लेकिन अब शिक्षा स्तर पर पूरे देश में 21वें स्थान पर पहुंच गया है. आठवीं कक्षा का बच्चा दूसरी कक्षा के विषय नहीं पढ़ पा रहा है।