हिमाचल सियासत की सुर्ख़ियों में उत्तराखंड के सेवानिवृत मुख्य सचिव राकेश शर्मा के विधायक पुत्र चैतन्य शर्मा

by

क्रास वोटिंग के बाद बिना इस्तीफ़ा दिए बीजेपी को साथ देना तय !

राज्यसभा चुनाव में 5 अन्य कांग्रेस विधायकों के साथ पार्टी लाइन के खिलाफ बीजेपी को दिया वोट

एएम नाथ। शिमला :
उत्तराखंड के सेवानिवृत मुख्य सचिव राकेश शर्मा के विधायक पुत्र चैतन्य शर्मा राज्यसभा चुनाव में अपनी पार्टी कांग्रेस के खिलाफ क्रास वोटिंग में शरीक हो के हिमाचल प्रदेश और देश भर की सियासत में सुर्खियाँ बटोर रहे हैं। माना जा रहा है कि उनका कांग्रेस छोड़ के विपक्ष में मौजूद बीजेपी में जाना तय है। वह गगरेट से विधायक हैं।
कांग्रेस के 6 विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में बीजेपी को वोट दिया। इससे उनके प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी चुनाव हार गए। इसके बाद हिमाचल की राजनीति में तूफ़ान आया हुआ है। देश भर में हंगामा छिड़ा हुआ है। ये साफ़ है कि चैतन्य शर्मा अन्य बागी कांग्रेस विधायकों के साथ कमल के फूल पर सवार होंगे।
ये बहस भी छिड़ी है कि क्या सभी बागियों की विधायकी जा सकती है इसमें जानकारों के मुताबिक राज्यसभा चुनाव का संचालन चुनाव आयोग के हाथों में होने के चलते किसी भी बागी की विधानसभा सदस्यता नहीं जाएगी। अलबत्ता, कांग्रेस वे नहीं छोड़ सकेंगे। ऐसा किया तो उनकी विधायकी ख़त्म हो जाएगी।
चैतन्य भले कांग्रेस में हैं लेकिन हकीकत ये है कि वह बीजेपी से ही विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे। उनको वहां से टिकट नहीं मिला तो वह ऐन चुनाव के वक्त कांग्रेस में चले गए। वहीँ से टिकट हासिल कर वह भारी वोटों से बीजेपी प्रत्याशी को शिकस्त दे के विधानसभा पहुंचे थे।
चैतन्य के पिता राकेश शर्मा एक दशक पहले उत्तराखंड के मुख्य सचिव और CM (तब हरीश रावत) के मुख्य प्रधान सचिव भी कुछ वक्त के लिए रहे थे। वह अपनी तेज तर्रार कार्यशैली और Result देने वाली अदा के चलते खूब लोकप्रिय और विवादित भी रहे थे। उन्होंने उत्तराखंड में उधम सिंह नगर की किच्छा सीट से विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाने की कोशिश भी की थी।
उसी सीट पर हरीश रावत के उतरने के आसार देख उन्होंने फिर चुनाव लड़ने का ईरादा ही त्याग दिया था। बाद में वह अपने गृह राज्य हिमाचल आ गए और फिर बेटे को सियासत में उतार दिया। चैतन्य सिर्फ 27 साल की अवस्था में ही विधानसभा पहुँच गए थे। अब हिमाचल प्रदेश में क्रास वोटिंग से वह पिता की तरह ही देश भर की मीडिया में छाए हुए हैं।
चैतन्य का भाजपा में जाना या फिर कांग्रेस से बर्खास्त हो के भाजपा में गए बगैर उसको समर्थन देना वक्त की बात भर समझी जा रही। पार्टी उनको बर्खास्त कर देती है तो उनकी विधायकी बनी रहेगी। खुद पार्टी छोड़ने पर विधायकी चली जाएगी।चैतन्य विधानसभा सदन में भाजपा विधायकों के साथ ही बैठे।

Share
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  

You may also like

article-image
हिमाचल प्रदेश

भाजपा ने मतप्रतिशतता का मंथन : दावा प्रदेश में भाजपा दोबारा सरकार बना रही

परवाणू । हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए बीते 12 नवंबर को हुए मतदान के बाद भाजपा ने रविवार को बैठक कर मत प्रतिशतता पर मंथन किया। 8 दिसंबर को मतगणना से पहले...
article-image
हिमाचल प्रदेश

नड्डा की जगह कौन..! – 27 फरवरी को हिमाचल की एक राज्यसभा सहित 56 सीटों के लिए होगा मतदान

एएम नाथ। शिमला : 27 फरवरी को हिमाचल की एक राज्यसभा सहित 56 सीटों के लिए मतदान होगा। इस बाबत चुनाव शेड्यूल जारी कर दिया गया है। गौर हो कि 2 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश...
article-image
हिमाचल प्रदेश

फॉरेस्ट गार्ड 2 साल की कॉन्ट्रेक्ट जॉब के तुरंत बाद होंगे परमानेंट : हाईकोर्ट ने आदेश किए जारी

शिमला :  हिमाचल हाई कोर्ट 31 दिसंबर, 2020 से पहले अनुबंध आधार पर नियुक्त सैकड़ों वनरक्षकों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने इन वनरक्षकों को दो वर्ष का अनुबंध कार्यकाल पूरा करते ही...
article-image
हिमाचल प्रदेश

प्रभावी शासन के लिए सूचना प्रौद्योगिकी पहल पर कार्यशाला आयोजित : कर्मचारियों का प्रभावी प्रशासन के लिए डिजिटल पहल के कार्यान्वयन – अजय कुमार यादव

सोलन : डिजिटल प्रौद्योगिकी एवं गवर्नेंस विभाग तथा ज़िला प्रशासन सोलन के संयुक्त तत्वावधान में आज सोलन में ‘प्रभावी शासन के लिए सूचना प्रौद्योगिकी पहल’ पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला की...
Translate »
error: Content is protected !!