एएम नाथ। शिमला। हिमाचल सरकार नए वित्त वर्ष शुरू होने के पहले ही सप्ताह में 900 करोड़ का ऋण लेने जा रही है। 10 साल की अवधि के लिए यह ऋण लिया जाएगा। 4 अप्रैल 2035 तक हिमाचल को ऋण की अदायगी करनी होगी। वित्त विभाग की ओर से ऋण लेने को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। 4 अप्रैल को हिमाचल को ऋण की राशि प्राप्त हो जाएगी।
ऋण लेने के पीछे तर्क दिया गया है कि विकासात्मक कार्यों पर इसे खर्च किया जाएगा। राज्य के कर्मचारियों के वेतन व पेंशन के भुगतान के बाद कोषागार के बैलेंस के लिए अतिरिक्त ऋण की व्यवस्था करनी पड़ रही है। इस चालू वित्त वर्ष के लिए राज्य सरकार ने अपने बजट में भी 8769 करोड़ की लोन की जरूरत बताई थी। यह सामान्य तौर पर कुल सकल घरेलू उत्पाद का तीन फीसदी होता है।
हालांकि, अभी तक भारत सरकार ने इस लिमिट को नहीं बताया है। इसलिए तदर्थ आधार पर ही केंद्र सरकार से लोन लेने की अनुमति लेनी पड़ी है। 900 करोड़ का यह लोन भी इस वित्त वर्ष के लिए मिलने वाली लिमिट में ही समायोजित हो जाएगा।
मार्च में दो बार लिया था ऋण
वित्त वर्ष समाप्त होने से पहले मार्च महीने में राज्य सरकार ने दो बार ऋण लिया था। एक बार 337 करोड़ व दूसरी बार 322 करोड़ का ऋण लिया था। 31 मार्च, 2023 तक राज्य पर 76,185 करोड़ रुपए कर्ज था। उसके बाद वर्तमान सरकार ने अब तक 29,046 करोड़ रुपए ऋण लिया है। हिमाचल प्रदेश पर 96,875 करोड़ रुपए कर्ज चढ़ गया है।
वेतन, पेंशन के साथ पिछले लोन की अदायगी है भार
हिमाचल सरकार को हर महीने कर्मचारियों के वेतन व पेंशन के अलावा पहले लिए ऋण का मूलधन व ऋण के ब्याज का भुगतान करना पड़ता है। कर्मचारियों के वेतन पर करीब 1,200 करोड़ रुपए और पेंशनर्स की पैंशन पर 800 करोड़ की देनदारी तय है। इसी तरह ऋण के ब्याज के तौर पर 500 करोड़ रुपए और कुल ऋण का मूलधन चुकाने के लिए 300 करोड़ रुपए की हर महीने जरूरत रहती है।