मंडी. हिमाचल प्रदेश में पहली बार पहाड़ी गायों की अलग से गणना की जा रही है. इससे पहले, प्रदेश में कभी भी पहाड़ी गायों की गणना नहीं की गई है और इसी कारण प्रदेश सरकार के पास इस बात को लेकर कोई डाटा मौजूद नहीं है कि प्रदेश में पहाड़ी गायों की संख्या कितनी है. अब 21वीं पशु गणना में पहाड़ी गायों की गिनती के लिए अलग से प्रावधान किया गया है.
दरअसल, 1 सितंबर से देश भर में 21वीं पशु गणना का काम चला चल रहा है. जो कि 31 दिसंबर तक पूरा होगा. इस बार की पशु गणना की खास बात यह है कि पहली बार विशेष रूप से पहाड़ी गायों का डाटा अलग से तैयार किया जा रहा है. इससे पहले गाय में सिर्फ देसी और विदेशी नस्लें ही काउंट की जाती थी लेकिन इस बार पहाड़ी गाय की नस्ल का डाटा अलग से बनाया जा रहा है, ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि पूरे प्रदेश में पहाड़ी गायों की संख्या कितनी हैं. इसके अलावा गाय, भैंस, भेड़, बकरी, कुत्ते और अन्य प्रकार के सभी पशुओं और जानवरों की गणना की जा रही है. जो आवारा पशु और कुत्ते हैं उनकी भी गणना की जा रही है ताकि यह डाटा भी एकत्रित किया जा सके कि इनकी संख्या कितनी है.
पशु पालन विभाग जिला मंडी के उपनिदेशक डा. अतुल पुरी ने जानकारी देते हुए बताया कि इस बार नस्ल विशेष की गणना को प्रमुखता दी गई है ताकि हर नस्ल का अलग से डाटा तैयार किया जा सके। पहाड़ी गायों को पहली बार अलग नस्ल में शामिल किया गया है जिससे उनका पूरा डाटा एकत्रित होगा। इस गणना के बाद जो डाटा तैयार होगा फिर भविष्य में उसी के तहत सरकार द्वारा पहाड़ी गायों के लिए विशेष प्रकार की योजनाएं बनाई जाएंगी.
मंडी में पशु पालन विभाग डिप्टी डायरेक्टर डॉ. अतुल पुरी : मंडी में पशु पालन विभाग डिप्टी डायरेक्टर डॉ. अतुल पुरी ने बताया कि पहाड़ी गाय के अलावा अन्य पशुओं की भी जो स्थानीय नस्लें होंगी उनका डाटा भी अलग से बनाया जाएगा. इसके लिए गणना में इस बार विशेष प्रावधान किया गया है. डॉ. पुरी ने बताया कि इस बार की गणना जीपीएस आधारित हो रही है और इसलिए इस बात की कोई शंका शेष नहीं रहेगी कि पशुओं की गणना मौके पर जाकर नहीं की गई है.
करीब 587 लोगों की टीम : जीपीएस के तहत गणना के लिए जाने वाली हर टीम की लोकेशन ट्रैक की जा रही है और मौके से ही यह सारा डाटा एकत्रित किया जा रहा है. इस बार की गणना से स्टीक आंकड़े आएंगे. इस कार्य के लिए पशु पालन विभाग ने जिला भर में 65 सुपरिवाइजर और 522 फार्मासिस्टों को तैनात किया है, जो घर-घर जाकर पशु गणना का कार्य कर रहे हैं. यह कार्य 31 दिसंबर तक हर हाल में पूरा किया जाएगा.