चब्बेवाल (मोनिका भारद्वाज) सुरक्षित विधानसभा सीट चब्बेवाल में इस बार तीन पुराने और एक नया चेहरा चुनावी मैदान में है। डाक्टरी पेशा से राजनीति की पिच पर सफल हुए कांग्रेस प्रत्याशी विधायक डा. राज कुमार फिर से चुनाव में हुंकार भर रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में डा. राज कुमार उस समय वक्त सुर्खियों में आए थे, जब चार बार लगातार जीत हासिल करने वाले अकाली दल बादल के सोहन सिंह ठंडल को बड़े मतों के अंतर से हराकर यह सीट कांग्रेस की झोली में डाल दी थी, इस चुनाव में सोहन सिंह ठंडल की हार का मुख्य कारण उनकी ही पार्टी के उच्च नेता बने थे। अब, फिर कांग्रेस के डा. राज के सामने अकाली दल बादल की तरफ से सोहन सिंह ठंडल हैं। अकाली दल से गठबंधन न होने के कारण इस बार भाजपा के साथ नहीं हैं, बसपा का हाथी उनके साथ है। आप ने भी यहां से चेहरा बदलकर सरपंच हरमिदर सिंह संधू पर विश्वास कर मैदान में उतारा हैं। भाजपा से डा. दिलबाग राय भी ताल ठोंक रहे हैं। यहां पर पहले सीधा मुकाबला होता था, मगर इस बार त्रिकोणीय के आसार हैं। मैदान में कुल 12 उम्मीदवार हैं।
कंडी व मैदानी है चब्बेवाल की पृष्ठभूमि….
चब्बेवाल सीट पर सबसे ज्यादा अनुसूचित वर्ग के वोटर हैं। उसके बाद जाट सिख हैं। हिदू वोटरों की संख्या कम है। कुछ क्रिश्चियन मतदाता भी उम्मीदवारों के भाग्य लिखते हैं। मैदानी इलाके के मतदाताओं का मुख्य धंधा कृषि है। पहाड़ी इलाके में खेती मुख्य व्यवसाय है। मतदान नजदीक आने के साथ ही मतदाताओं ने जीत-हार के कयास लगाने शुरू कर दिए हैं।
डा. राज कुमार विकास को गिनाते हैं, विरोधी उम्मीदवार घेरते हुए उनकी असफलताओं की कर रहे चर्चा….
जनता का अपना-अपना तर्क-वितर्क चल रहा था, मगर यहां पर मुद्दे ज्यादा गंभीर नहीं हैं। बस, छोटी-छोटी ऐसी जरूरतें हैं, जिन्हें लोगों की आस है। कांग्रेस उम्मीदवार डा. राज कुमार जनता के बीच जाकर अपना पांच साल का रिपोर्ट कार्ड गिनाते हैं। मुखलियाना में सरकारी कालेज का जिक्र करते हैं। पुल बनाने की बात करते हैं। टूटी सड़कों को चकाचक करवाने की बात करते हैं। अकाली दल के सोहन सिंह ठंडल भी पहले यहां से विधायक रह चुके हैं। वह कांग्रेस की नाकामियां गिनाते हैं। आप के हरमिदर सिंह संधू मौका मिलने पर दिल्ली की तर्ज विकास के द्वार खोलने की गारंटी देते हैं और इलाके के गांवो में हो रही अवैध खनन, नशे का हो रहा बेरोकटोक धंधा और कांग्रेस विधायक के चकाचक सड़कों के विपरीत सड़कों की दयनीय हालत पर उनके दावो की पोल खोल रहे हैं। भाजपा के डा. दिलबाग राय का सीधा तर्क होता है कि भाजपा को जिताने पर डबल इंजन मिलेगा। फिर, विकास की रफ्तार तेज होगी। खैर, उम्मीदवारों की बातों को जनता बड़े ध्यान सुनती है। वह देख रही है कि ठंडल को लोग पहले देख चुके हैं उनके द्वारा किये विकास कार्यो देखा है। नए की सुन रहे हैं, मगर जवाब कोई नहीं है। जनता की नब्ज टटोलने पर यही आभास होता है कि मुकाबला त्रिकोणीय होगा।।
अकाली-भाजपा और कांग्रेस के विकासकार्यों का आकलन कर रहे मतदाता….
इस सीट पर पचास हजार के करीब अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाता है। साठ हजार के करीब जाट सिख मतदाता हैं। हिदू मतदाताओं की संख्या बहुत है। इस सीट पर अनुसूचित जाति और जाट सिख के मतदाता ही जीत हार का फैसला करते हैं। मतदाता, दस साल के अकाली-भाजपा और इस बार पांच साल के कांग्रेस सरकार के विकास का आकलन कर रहे हैं। उसके बाद अपना फैसला सुनाएंगे। नए उम्मीदवारों के भी वायदों पर गौर हो रहा है। देखना है कि चब्बेवाल के मतदाता इस बार किस पर मेहरबान होते हैं। चब्बेवाल से पहले विधानसभा माहिलपुर था। उस पर ज्यादातर अकाली दल का कब्जा रहा है। फिलहाल, चब्बेवाल अभी कांग्रेस के कब्जे में है।
विधानसभा सीट में मतदाताओं की स्थिति
कुल मतदाता -160928
पुरुष मतदाता -83880
महिला मतदाता -77043
थर्ड जेंडर- पांच