शिमला : राजधानी शिमला के होटल कारोबारी प्रॉपर्टी टैक्स और पानी के कमर्शियल बिल से ज्यादा वसूली से नाराज होटल कारोबारियों ने सरकार से इस पर पुनर्विचार करने को कहा है। होटल कारोबारियों का कहना है कि अगर सरकार उन्हें इसमें कोई राहत नहीं देती है तो मजबूरन होटलों में ताले लगाकर चाबियां सरकार को देनी पड़ेंगी।
टूरिज्म इंडस्ट्री स्टेक होल्डर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र सेठ ने कहा कि हाल ही में पानी के टैरिफ में 10% की बढ़ोतरी का प्रस्ताव से शिमला के लगभग 300 होटल व्यावसायियों पर फर्क पड़ा। इस बढ़ोतरी के बाद होटल के पानी का रेट कमर्शियल पानी के रेट से 67.5% अधिक महंगा हो गया है। हिमाचल के सभी शहरों मे होटल व्यस्यायियों से 27 रुपए प्रति किलो लीटर पानी का रेट चार्ज किया जाता है और कोई स्लैब सिस्टम भी नहीं लगता। महेंद्र सेठ ने बताया कि शिमला मे 10% बढ़ोतरी के बाद पानी का रेट 96.64 रुपए से लेकर 177.14 रुपए प्रति किलो लीटर हो जाएगा। होटल वालों से एक तरफ तो सबसे अधिक टैरिफ वसूला जाता है, उपर से होटलों पर पानी की खपत के हिसाब से 3 स्लैब बनाई गई हैं, जिसमें 30 किलो लीटर की खपत तक 96.64 रूपए प्रति किलो लीटर रेट चार्ज किया जाता है।
30 किलोलीटर से लेकर 75 किलोलीटर तक की खपत पर 128.87 रुपए प्रति किलोलीटर रेट चार्ज किया जाता है। इसी तरह 75 किलोलीटर से ऊपर पानी की खपत पर 177.14 रुपए प्रति किलो लीटर रेट चार्ज किया जाता है, जो पहली स्लैब से 33% से 66% अधिक होता है।
30% सेस ने कारोबारियों की तोड़ी कमर :
उन्होंने इस बात पर भी खेद जताया की भारी भरकम होटल वाटर टैरिफ से ऊपर पानी के बिल की कुल राशि पर 30% सेस लगा कर होटल व्यवसायियों को आर्थिक बोझ तले दबाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री से मिलेंगे जल्द विधायक :
महेंद्र सेठ ने कहा कि वह अपनी इस समस्या को लेकर जल्द विधायक हरीश ज़नारथा और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मिलेंगे। उनसे पानी के टैरिफ, गार्बेज फीस और होटलों से वसूले जा रहे प्रॉपर्टी टैक्स को रेशनलाइज किए जाने की मांग करेंगे। अगर सरकार से उन्हें कोई राहत नहीं मिलती है तो वह होटलों में ताले लगाकर चाबियां सरकार को सौंपेंगे।