रोहित भदसाली। शिमला, 20 अगस्त। हिमाचल प्रदेश के छह जिलों में जिला फोरेंसिक यूनिट की स्थापना की जाएगी। इनमें हमीरपुर, ऊना, सिरमौर व कुल्लू, सहित जनजातीय जिले किन्नौर और लाहौल-स्पीति भी शामिल हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने यह ऐलान किया है। इन जिलों में फारेंसिक लैब के खुलने से आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने पर साक्ष्य जुटाना मददगार साबित होगा। वर्तमान में राजधानी शिमला के जुन्गा में एक राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एसएफएसएल) और धर्मशाला व मंडी में दो क्षेत्रीय एफएसएल हैं। मुख्यमंत्री सुक्खू ने मंगलवार को हिमाचल प्रदेश फॉरेंसिक साइंस विकास बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि आपराधिक मामलों को सुलझाने व अपराधियों को पकड़ने में फॉरेंसिक विभाग महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा प्रदेश सरकार विभाग के आधुनिकीकरण के लिए हर सम्भव सहायता प्रदान करेगी।
सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार हमीरपुर, ऊना, सिरमौर, कुल्लू, किन्नौर एवं लाहौल-स्पीति जिलों में जिला फोरेंसिक यूनिट स्थापित करेगी। उन्होंने कहा कि विभाग की कार्यप्रणाली को आधुनिक किया जाएगा, जिसके लिए नवीन तकनीक का उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अपराधी को कानून के तहत सजा दिलवाने के लिए आपराधिक मामलों के प्रभावी प्रबन्धन होना चाहिए है और इसके लिए अपराध स्थल की जांच कर सही तरीके से नमूने एकत्रित करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि अपराध स्थल से जो नमूने एकत्रित किए जाते हैं, उनकी विश्वसनीयता एवं सटीकता बनाए रखने के लिए विभाग को बार कोडिंग प्रणाली विकसित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अपराधों की सही तरीके से जांच के लिए प्रदेश सरकार चार फॉरेंसिक वाहन प्रदान करेगी। विभाग में विभिन्न रिक्त पदों को भरा जाएगा तथा अधोसंरचना को भी मौजूदा समय के अनुसार विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विभाग की बेहतर कार्य प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए फोरेंसिक बिहेवियरल एनलेसिज यूनिट, फूड फोरेंसिक यूनिट सहित अन्य नए यूनिट स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने अपराध अन्वेषण रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया की समयावधि को कम करने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी अपनाने पर बल दिया। मुख्यमंत्री ने न्यायालयों में अपराधियों को सजा दिलवाने की दर में सुधार लाने के लिए आपराधिक रिपोर्टों की गुणवत्ता को बेहतर करने पर भी जोर दिया।