एएम नाथ। शिमला : नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस द्वारा जारी किया गया घोषणा पत्र सिर्फ झूठ का एक पुलिंदा है। हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के समय भी कांग्रेस पार्टी द्वारा 10 गारंटियां देने के साथ साथ एक घोषणा पत्र भी जारी किया गया था। इस घोषणापत्र में कांग्रेस द्वारा बड़ी बड़ी बातें की गईथी। लेकिन चुनाव जीतने के बाद जब हिमाचलप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री विधानसभा के अंदर ही अपने पार्टी के द्वारा दी गई गारंटियों से साफ़ मुकर गए। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद कांग्रेस के नेताओं ने एक बार भी घोषणा पत्र को पलट कर नहीं देखा है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री अपने पार्टी के विधायक रहे नेताओं का साथ छोड़ जाने से पूरी तरह से हताश हो गए हैं और वह हताशा में इधर उधर की बातेंकर रहे हैं। उन्हें कुछ भी कहने से पहले ध्यान रखना चाहिए कि वह अभी भी हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। किसी भी सम्माननीय व्यक्ति के ऊपर टिप्पणी करने और अनर्गल आरोप नहीं लगाने चाहिए क्योंकि ऐसे आरोप ज़्यादा देर तक टिक नहीं सकते ऐसे में उनकी स्वयं की प्रतिष्ठा ही धूमिल होती है। उनके द्वारा किये गये अपमान के कारण ही इक चुने हुए जन प्रतिनिधियों को अपनी पार्टी छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कांग्रेस के घोषणा पत्र को लेकर कांग्रेस ही गंभीर नहीं है। किसी पार्टी द्वारा घोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा करने का ब्लू प्रिंट भी होता है। लेकिन कांग्रेस के घोषणा पत्र में न्यूयॉर्क की नदी की तस्वीरें लगाई हैं। हिमाचल प्रदेश के घोषणापत्र की तरह लोकसभा चुनाव के लिए बनाया गया कांग्रेस के घोषणापत्र में हर वर्ग को ठगने की कोशिश की गई है। इस बार भी देश के लोग कांग्रेस के इस झांसे में नहीं आएंगे। हाल ही में हुए विधान सभा चुनावों की तरह देशवासी कांग्रेस को पूरी तरह नकार देंगे।
जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस ने नौकरियां देने का वादा किया था लेकिन यह सरकार भर्तियां रोक कर बैठी हुई है। नौकरियां देने वाले कर्मचारी चयन आयोग को बंद कर दिया है। सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि सभी भर्तियों को कैंसिल कर दिया जाए। कांग्रेस सरकार की यह असलियत हैं। एक लाख नौकरी का वादा करके एक भी नौकरी न देना यह बताता है कि सरकार न प्रदेश के विकास लिए गंभीर हैं न युवाओं के भविष्य के लिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हर व्यवस्था का बुरा हाल है। इस सरकार से हर कोई दुखी है और सरकार का नारा है दुःख की सरकार।