एएम नाथ : शिमला। हिमाचल प्रदेश में राजस्व सेवाएं देने वाले तहसीलदार स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। सचिवालय से एक पत्र पुलिस मुख्यालय पहुंचा है। इस पत्र में तहसीलदारों पर जिम्मेदारियों को देखते हुए पुलिस सुरक्षा मुहैया करवाने के संबंध में स्थिति का आकलन कर विस्तृत रिपोर्ट भेजने को कहा गया है।
इस तरह की मांग तहसीलदारों की ओर से समय-समय पर होती रही है। देखना यह है कि पुलिस सुरक्षा की मांग को लेकर पुलिस महकमे द्वारा क्या रुख अपनाया जाता है। अब पुलिस विभाग तहसीलदारों की मांग पर विचार करेगा। इसके बाद मामला सरकार के पाले में जाएगा। प्रदेश में 131 तहसीलदार व 280 नायब तहसीलदार सेवारत हैं। बहुउद्देशीय सेवाएं देने वाले तहसीलदारों की ओर से पुलिस सुरक्षा दिए जाने के अतिरिक्त वाहन की मांग भी लंबे समय से रही है। हालत यह है कि 2003 में 11 व 2024 में 19 वाहन मिले थे, जिनमें से अधिकांश कंडम हो चुके हैं। पुलिस सुरक्षा की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। पिछली सरकार के समय में पूर्व डीजीपी एसआर मरड़ी ने एसडीएम को पीएसओ दिए जाने को नकार दिया था। लेकिन पिछली सरकार में ही संजय कुंडू के डीजीपी रहते हुए एसडीएम को पीएसओ की सुरक्षा प्रदान की गई है।
कुल्लू के अंतरराष्ट्रीय दशहरा महोत्सव के दौरान देवलुओं की ओर से तहसीलदार को घसीटने व दुर्व्यवहार हुआ था। सीमावर्ती क्षेत्रों में पहले भी तहसीलदारों पर हमले हो चुके हैं। कुल्लू मामले के बाद सुरक्षा की मांग उठ रही है।
