चंडीगढ़: शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया की सुरक्षा में कमी से संबंधित याचिका पर आज पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई हुई।
अदालत ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया है कि वह मजीठिया की सुरक्षा का पुनर्मूल्यांकन कर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
सुनवाई के दौरान, पंजाब सरकार ने एक सीलबंद रिपोर्ट अदालत में पेश की। इसी प्रकार, केंद्र सरकार ने भी मजीठिया को संभावित खतरों के बारे में अपनी सीलबंद रिपोर्ट अदालत को सौंपी। केंद्र सरकार के वकील ने बताया कि उनकी रिपोर्ट जमा कर दी गई है, जिसके आधार पर पंजाब सरकार ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है।
अदालत ने दोनों रिपोर्टों का संज्ञान लेते हुए कहा कि मजीठिया की सुरक्षा सुनिश्चित करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। कोर्ट ने आदेश दिया कि उनकी सुरक्षा का पूरी तरह से पुनरावलोकन किया जाए और इस आधार पर पंजाब सरकार को 12 जुलाई तक एक नई और विस्तृत रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत करनी होगी।
यह ध्यान देने योग्य है कि मजीठिया की सुरक्षा को ‘Z’ श्रेणी से घटाकर ‘Y’ श्रेणी में रखा गया है। उन्होंने अपनी याचिका में इस कटौती को राजनीतिक प्रतिशोध बताया और कहा कि उन्हें जान का गंभीर खतरा है। उन्होंने पहले भी उन पर हमले की कई साजिशों का उल्लेख करते हुए सरकार से पर्याप्त सुरक्षा की मांग की थी।
इस मामले ने हाल के दिनों में राजनीतिक रंग ले लिया है। अकाली दल ने मजीठिया की सुरक्षा में कमी का कड़ा विरोध करते हुए इसे ‘बदले की राजनीति’ करार दिया है। दूसरी ओर, पंजाब सरकार का कहना है कि यह सुरक्षा नीति के तहत नियमित समीक्षा प्रक्रिया का हिस्सा है।
हाल ही में मोगा में एक सोशल मीडिया ग्रुप की चैट वायरल हुई थी, जिससे मजीठिया की जान को खतरे का संकेत मिला था। इस संबंध में मोगा में एक केस भी दर्ज किया गया था और कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इन घटनाक्रमों को देखते हुए हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार से सुरक्षा का पूरा आकलन कर नई रिपोर्ट मांगी है।