चंडीगढ़ : लुधियाना पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी, राजनीतिक गतिविधियां भी तेज होंगी। यह उपचुनाव सभी राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण है। आम आदमी पार्टी के लिए यह जीत आवश्यक है, क्योंकि पहले इसी सीट से उनके नेता विधायक बने थे।
उनकी मृत्यु के बाद यह सीट खाली हुई है और अब उपचुनाव हो रहे हैं। कांग्रेस इस चुनाव के माध्यम से अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करना चाहती है, जबकि शिअद के लिए यह जीत आवश्यक है। भाजपा भी इस चुनाव को जीतकर 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुटना चाहती है।
तीन प्रमुख पार्टियों ने उम्मीदवारों की घोषणा की : उपचुनाव के लिए मतदान 19 जून को होगा और परिणाम 23 जून को घोषित किए जाएंगे। आम आदमी पार्टी के विधायक गुरप्रीत बस्सी गोगी की हत्या के बाद यह सीट खाली हुई थी। आप, कांग्रेस और शिअद ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। इस सीट पर मुकाबला कड़ा होने की उम्मीद है, क्योंकि कांग्रेस और शिअद ने भी मजबूत उम्मीदवार उतारे हैं।
आप के नेता अरविंद केजरीवाल ने इस सीट पर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। यह सीट आप के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है। आने वाले दिनों में राजनीतिक गतिविधियों में तेजी आएगी। कांग्रेस ने अब तक इस सीट पर छह बार जीत हासिल की है, जबकि दो बार अकाली भाजपा के उम्मीदवार भी विधायक बने हैं।
1977 से अब तक का सफर : लुधियाना पश्चिम विधानसभा क्षेत्र का गठन 1977 में हुआ था। अब तक इस सीट पर नौ बार चुनाव हो चुके हैं। 1977 में जेएनपी पार्टी के नेता ए विश्वनाथन ने पहली बार जीत हासिल की थी। इसके बाद कांग्रेस के जोगिंदर पाल पांडे ने 1980 में जीत दर्ज की। कांग्रेस के हरनाम दास जौहर ने 1985, 1992 और 2002 में भी यह सीट जीती।