ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के नयापल्ली इलाके में… भारतीय सेना से रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल सोमनाथ परिदा अपनी पत्नी उषा श्री के साथ यहां एक बड़े बंगले में रहते थे। सोमनाथ परिदा 1970 में भारतीय सेना में बतौर सेकंड लेफ्टिनेंट शामिल हुए थे। देश की सेवा करने के बाद वे 1992 में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद से रिटायर हुए। वे सेना में डॉक्टर के पद पर कार्यरत थे। सोमनाथ की गिनती सेना के बेहतरीन सर्जनों में होती थी। सेना से रिटायर होने के बाद उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन के लिए भी काम किया।
डब्ल्यूएचओ में काम करने के बाद सोमनाथ ने अपना क्लीनिक भी खोला। फिर यहीं अपनी सेवाएं देने लगे। सोमनाथ और उषा के दो बच्चे थे। बेटा डॉक्टर बनने के बाद अमेरिका में बस गया। वहीं, उनकी बेटी दुबई में बस गई। दोनों बच्चे भले ही दूर रहते थे, मगर वे अपनी मां से फोन पर जरूर बात करते थे। बच्चे ज्यादातर अपनी मां से ही बात करते थे। क्योंकि सोमनाथ परिदा अलग स्वभाव के व्यक्ति थे। उन्हें बहुत जल्दी गुस्सा आ जाता था। इस वजह से उनकी किसी से बनती भी नहीं थी। यहां तक कि बच्चे भी उनसे बहुत कम बात करते थे।
सोमनाथ ने खुद को सामाजिक रूप से भी अलग-थलग रखा। दरअसल, सोमनाथ का घर एक बहुत बड़ा विला था। मगर इतने बड़े बंगले में सिर्फ़ सोमनाथ और उनकी पत्नी ही रहते थे। सोमनाथ अपने रिश्तेदारों से ज़्यादा बातचीत नहीं करते थे। इसलिए रिश्तेदार भी उनके घर बहुत कम आते थे। यानी लगभग नहीं। कुछ लोग तो सोमनाथ के बंगले को भूतहा बंगला भी कहते थे।
ऐसे खुली पोल : रूटीन के मुताबिक सोमनाथ शाम 6 बजे सो जाता था। फिर सुबह 3 बजे उठ जाता था। वक्त बीतता रहा। फिर आया साल 2013। सोमनाथ परिदा के दोनों बच्चे हफ्ते में दो-तीन बार अपनी मां को फोन करते थे। हमेशा की तरह जून 2013 में एक दिन सोमनाथ के बेटे ने अपनी मां उषा को फोन किया तो मोबाइल बंद था। उसे लगा कि शायद उसकी मां कहीं व्यस्त होगी। उसने कुछ देर बाद फिर फोन किया। इस बार भी उषा का फोन बंद था। अगले दिन बेटे ने एक बार फिर अपनी मां को फोन किया। मगर मोबाइल बंद था। बेटे को चिंता हुई और उसने अपने पिता सोमनाथ को फोन किया। उसने अपनी मां के बारे में पूछा। सोमनाथ ने कहा- आपकी मां कुछ दिन पहले अपनी बेटी से मिलने दुबई गई हैं। इसलिए उनका फोन बंद है।
ये सुनते ही सोमनाथ के बेटे ने अपनी बहन को फोन किया। बहन ने उसे बताया कि उसकी मां उसके पास नहीं आई। बहन ने कहा कि उसने खुद अपनी मां से बात नहीं की। बेटे ने फिर अपने पिता को फोन किया। तो सोमनाथ ने उसे डांटा और फोन काट दिया। बेटा बार-बार अपने पिता को फोन करता रहा। मगर सोमनाथ ने उसका फोन नहीं उठाया। इससे तंग आकर उसने अपने चाचा रंजन सामल को फोन किया और उन्हें पूरी बात बताई। फिर उन्होंने कहा कि चाचा आप एक बार हमारे घर जाकर देख लीजिए। मां का फोन भी बंद आ रहा है। मुझे बहुत घबराहट हो रही है। चाचा रंजन बिना किसी देरी के अपनी एक बहन के साथ सोमनाथ के घर पहुंच गए।
सोमनाथ ने दरवाजा नहीं खोला
उन्होंने काफी देर तक सोमनाथ के घर का दरवाजा खटखटाया। मगर किसी ने दरवाजा नहीं खोला। रंजन और उसकी बहन वहीं खड़े होकर किसी के आने का इंतजार कर रहे थे। तभी घर की एक छोटी सी खिड़की खुली। सोमनाथ घर पर ही थे। उन्होंने रंजन से पूछा- तुम यहां क्यों आए हो। रंजन ने उषा के बारे में पूछा। तब सोमनाथ ने कहा- वह अपनी बेटी से मिलने दुबई गई है। रंजन ने कहा- तुम झूठ बोल रहे हो। दीदी दुबई में नहीं है। तुम दरवाजा खोलो, हम बात करना चाहते हैं। मगर सोमनाथ को गुस्सा आ गया। वह उन दोनों पर चिल्लाने लगा और थोड़ी देर बाद खिड़की भी बंद कर दी।
22 टिफिन ने खोला राज
रंजन ने घर की दूसरी खिड़कियों से अंदर झांकने की कोशिश की। तभी उसे दुर्गंध आई। उसे लगा कि यहां कुछ गड़बड़ है। वह तुरंत नयापल्ली थाने पहुंचा और पुलिस को पूरी कहानी बताई। पूरी कहानी सुनने के बाद पुलिस भी सोमनाथ के घर पहुंच गई। मगर पुलिस के कहने पर भी सोमनाथ ने दरवाजा नहीं खोला। इसके चलते पुलिस ने दरवाजा तोड़ दिया और घर के अंदर दाखिल हुई। वहां उन्होंने देखा- सोमनाथ घर में आराम से बैठा हुआ था। मगर दुर्गंध अभी भी लगातार आ रही थी। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने घर की तलाशी शुरू की। तलाशी लेते-लेते वे एक बंद कमरे में पहुंचे। यहां से दुर्गंध आ रही थी। पुलिसकर्मियों ने वहां दो बॉक्स रखे देखे। वे आर्मी के बॉक्स थे। पुलिस ने दोनों बॉक्स बाहर निकाले।
टिफिन में इंसानी मांस के टुकड़े
दोनों बक्सों में कुल 22 टिफिन थे। पुलिस ने टिफिन केक के बारे में पूछा। सोमनाथ कोई सटीक जवाब नहीं दे सका। फिर पुलिस ने एक टिफिन खोला। इसे देखकर वहां मौजूद सभी लोग चौंक गए। टिफिन में इंसानी मांस के छोटे-छोटे टुकड़े थे। एक-एक करके सभी टिफिन खोले गए। सभी में इंसानी मांस के टुकड़े थे।
सारे टुकड़े बहुत सफाई से काटे गए थे। पुलिस ने जवाब मांगा तो सोमनाथ ने कहा- ये टुकड़े उषा के हैं। मेरी पत्नी साईं भक्त थी। अचानक एक दिन उसने अपना सिर पटकना शुरू कर दिया। इससे उसकी मौत हो गई। मरने से पहले उसने मुझसे कहा था कि उसका दाह संस्कार शिरडी में ही करना। उसे इस तरह शिरडी ले जाना संभव नहीं था। इसलिए मैंने उसके शरीर के टुकड़े किए। और उन्हें टिफिन में भरकर रख दिया। मैंने सोचा कि मैं हर टिफिन को शिरडी ले जाऊंगा और फिर वहीं उसका दाह संस्कार करूंगा।
मेज पर रखा हुआ था पत्नी का सिर
यह दावा बड़ा ही अजीब और चौंकाने वाला था कि कोई सिर पटकने से कैसे मर सकता है? पुलिस ने तुरंत सोमनाथ को गिरफ्तार कर लिया और उससे पूछताछ शुरू की। टुकड़ों को जांच के लिए भेजा गया। पता चला कि सिर का हिस्सा गायब था। पुलिस ने सिर की तलाश शुरू की। तभी उनकी नजर हॉल में रखी टेबल पर पड़ी। वहां टेबल के बीच में उषा का सिर कपड़े से ढका सजाकर रखा हुआ था। सिर काफी हद तक सड़ चुका था। पुलिस ने इसका कारण पूछा तो सोमनाथ ने ऐसा जवाब दिया कि वे भी चौंक गए। सोमनाथ ने कहा- मैं यहां उषा से रोज घंटों बात करता हूं।
पुलिस ने तब सोमनाथ से सख्ती से पूछताछ शुरू की क्योंकि उन्हें सोमनाथ की थ्योरी पर यकीन नहीं हो रहा था। बाद में पुलिस को जो सच्चाई पता चली उसके मुताबिक ऊषा ने आत्महत्या नहीं की थी। 3 जून 2013 को सोमनाथ और ऊषा के बीच झगड़ा हुआ था। इस झगड़े के दौरान सोमनाथ ने ऊषा पर स्टील की टॉर्च से हमला कर दिया। यह वार इतना जोरदार था कि ऊषा बेहोश हो गई। सोमनाथ का गुस्सा यहीं तक शांत नहीं हुआ। सोमनाथ ने बेहोश ऊषा पर हमला कर उसे मार डाला।
बाद में सोमनाथ को इस बात की चिंता हुई कि शव को कहां ठिकाने लगाया जाए। अगले दिन जब नौकरानी आई तो सोमनाथ ने उसे नौकरी से निकाल दिया और कहा- अब काम पर मत आना। इसके बाद उसने पास की एक दुकान से तीन टिफिन खरीदे। पहले दिन उसने शव के कुछ टुकड़े काटे। इस तरह वह रोज दुकान से टिफिन खरीदता और शव के टुकड़े करता, और उन्हें टिफिन में डालता। शव के टुकड़ों से 22 टिफिन भरने के बाद उसने उन्हें दो बक्सों में डालकर एक कमरे में रख दिया। बदबू न फैले, इसके लिए उसने एक केमिकल का भी इस्तेमाल किया।
अदालत ने दी ये सजा
चौंकाने वाली बात यह थी कि सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले औजारों से शव को टुकड़ों में काटा गया था। फिर सिर को टेबल पर रखकर सजाया गया था। सिर को कपड़े से ढक दिया गया था ताकि कोई देख न सके। शव को 300 टुकड़ों में काटा गया था। हर टुकड़े की लंबाई 6 इंच थी। पुलिस ने हत्या किसने की, इसका पता लगा लिया था। मगर हत्या के पीछे का मकसद अभी पता नहीं चल पाया है। जांच में पता चला कि ऊषा को शक था कि सोमनाथ का उसके क्लीनिक में काम करने वाली एक लड़की से प्रेम प्रसंग चल रहा है। इस बात को लेकर दोनों में अक्सर झगड़ा होता था।
3 जून 2013 को इसी बात को लेकर दोनों में झगड़ा हुआ था। इस खुलासे के बाद 22 जून 2013 को सोमनाथ को जेल भेज दिया गया। सोमनाथ पर हत्या समेत कई धाराएं लगाई गईं। फिर इस मामले की सुनवाई खुर्दा जिले की अदालत में शुरू हुई। सुनवाई के दौरान सोमनाथ के बेटे और बेटी ने भी अपने पिता के खिलाफ गवाही दी। इसके बाद कोर्ट ने सोमनाथ को दोषी करार दिया। 25 फरवरी 2020 को उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। साथ ही 50 हजार का जुर्माना भी लगाया गया। अब सोमनाथ 81 साल का हो चुका है। वह झारपड़ा जेल में अपने पागलपन की सजा काट रहा है।