युवाओं के उच्च शिक्षा के सपनों को पंख देगी डॉ. वाई.एस. परमार विद्यार्थी ऋण योजना

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रोहित भदसाली। ऊना, 14 नवंबर. हिमाचल प्रदेश में अब गरीब परिवार के छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए पैसे के इंतजाम की चिंता नहीं करनी पड़ेगी। जो युवा शिक्षा के क्षेत्र में मेहनत और लगन से ऊंचाई छूना चाहते हैं..पर अब तक आर्थिक सीमाएं उनकी उड़ान में बाधा बनती रही हैं, उनके लिए हिमाचल सरकार की ‘डॉ. वाई.एस. परमार विद्यार्थी ऋण योजना’ आशा की उजली किरण और भरोसे की गारंटी है। इस योजना में प्रदेश सरकार द्वारा 20 लाख रुपये तक का लोन मात्र 1 प्रतिशत ब्याज पर उपलब्ध करवाया जाएगा, ताकि गरीब परिवारों के बच्चे आर्थिक मजबूरी की बेड़ियां काट कर उच्च शिक्षा के अपने सपनों को साकार कर सकें।
प्रदेश के युवाओं के सपनों को नई उड़ान देने और उनके उज्ज्वल भविष्य की मजबूत नींव रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इस योजना की शुरूआत की है। योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी हिमाचली युवा आर्थिक कठिनाइयों के कारण उच्च या व्यावसायिक शिक्षा से वंचित न रहे।
उच्च शिक्षा विभाग ऊना के उपनिदेशक राजेंद्र कौशल बताते हैं कि इस योजना के अंतर्गत प्रदेश के युवाओं को मात्र एक प्रतिशत की न्यूनतम ब्याज दर पर 20 लाख रुपये तक के शिक्षा ऋण का प्रावधान है। सरकार की इस पहल से न केवल युवाओं के सपनों को नए पंख मिलेंगे, बल्कि यह राज्य में शिक्षा को सशक्त बनाने के संकल्प को भी मजबूत करेगी।
लाभ एवं पात्रता
योजना का लाभ नए छात्रों के साथ-साथ मान्यता प्राप्त संस्थानों से शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों को भी मिलेगा। इसमें इंजीनियरिंग, मेडिकल, प्रबंधन, पैरा-मेडिकल, फार्मेसी, नर्सिंग, विधि सहित विभिन्न डिप्लोमा और डिग्री कोर्सों, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, बहुतकनीकी संस्थानों और मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों से पीएचडी के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।
योजना का लाभ केवल हिमाचली बोनाफाइड छात्रों को मिलेगा। पात्रता के लिए छात्र को पिछली कक्षा में कम से कम 60 प्रतिशत अंक प्राप्त करना आवश्यक है, और प्रवेश मेरिट के आधार पर होना चाहिए। छात्र के परिवार की वार्षिक आय 4 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए, जिसके प्रमाण स्वरूप आय प्रमाण पत्र संबंधित तहसील अथवा उपमंडल के कार्यकारी दंडाधिकारी से प्राप्त करना होगा। ऑनलाइन या पत्राचार माध्यम से शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र इस योजना के लिए पात्र नहीं होंगे।
योजना के तहत भारत के किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से व्यावसायिक, तकनीकी पाठ्यक्रम या पीएचडी कर रहे छात्रों को 20 लाख रुपये तक का ऋण प्रदान किया जाएगा, जिससे वे शिक्षा के साथ-साथ अन्य जरूरी खर्च जैसे की आवास की सुविधा, शिक्षा के लिए ज़रूरी सामग्री, ट्यूशन फीस आदि की पूर्ति कर सके। यह ऋण अर्ध-वार्षिक या वार्षिक किस्तों में दिया जाएगा और प्रदेश के किसी भी अनुसूचित बैंक से प्राप्त किया जा सकता है। ऋण की निरंतरता छात्र के संतोषजनक शैक्षणिक प्रदर्शन पर निर्भर करेगी, जिसे प्रमाण पत्र के माध्यम से हर वर्ष बैंक में जमा करना होगा। यदि छात्र पाठ्यक्रम बीच में छोड़ता है, तो उसे पूर्व में प्राप्त ब्याज अनुदान वापस करना होगा।
यह है आवेदन की प्रक्रिया
योजना के संबंध में उच्च शिक्षा निदेशालय शिमला की वेबसाइट से फार्म और संबंधित प्रपत्र प्राप्त किए जा सकते हैं। इसे लेकर विभाग अलग से पोर्टल भी विकसित कर रहा है। पोर्टल के सक्रिय होने तक योजना के लाभ के लिए छात्र आवश्यक दस्तावेजों सहित निर्धारित प्रपत्र ईमेल पते ईडीयूआरआइएनडीएचईएसएमएल2023 एट दी रेट जीमेल डॉट कॉम पर भेज सकते हैं। उच्च शिक्षा निदेशक 72 घंटे के भीतर पात्रता के आधार पर बैंक को पहले किस्त की संस्तुति देंगे, ताकि प्रवेश शुल्क और अन्य खर्चों की राशि छात्रों को समय पर मिल सके। 7.5 लाख रुपये तक के ऋण के लिए कोई कोलेटरल (सिक्योरिटी) की आवश्यकता नहीं होगी, और अंतिम किस्त पाठ्यक्रम के पूर्ण होने तक दी जाएगी। आवेदक छात्र के माता-पिता अथवा अभिभावकों को पात्रता से संबंधित शपथ पत्र भी देना होगा।
कॉर्पस फंड का प्रावधान
योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सरकार ने उपायुक्तों के पास एक कॉर्पस फंड का प्रावधान किया है। यदि बैंक से पहली किस्त में देरी होती है, तो उपायुक्त 24 घंटे के भीतर इस फंड से पहली किस्त जारी करेंगे, ताकि छात्रों को प्रवेश में कोई बाधा न आए। उपायुक्त ऊना जतिन लाल ने डॉ. वाई.एस. परमार विद्यार्थी ऋण योजना की महत्ता पर बल देते हुए कहा कि इसके सफल क्रियान्वयन के लिए सभी संबंधित विभागों को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं, ताकि पात्र छात्रों को बिना किसी विलंब के योजना का लाभ मिल सके।
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