एएम नाथ। शिमला : प्रदेश सरकार में नगर नियोजक, आवास, तकनीकी शिक्षा एवं औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री राजेश धर्माणी ने आज जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक और पूर्व-बजट चर्चा में हिमाचल प्रदेश के विकास से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दे मजबूती से उठाए।
जीएसटी परिषद की बैठक में उठाए गए प्रमुख मुद्दे:—-
GST मुआवजा व्यवस्था : मंत्री ने हिमाचल जैसे उत्पादक राज्यों को GST के कारण राजस्व में होने वाली कमी की भरपाई के लिए स्थायी मुआवजा व्यवस्था की मांग की। उन्होंने राज्य के पर्यावरणीय योगदान, कम जनसंख्या घनत्व और औद्योगिक उत्पादन (विशेष रूप से फार्मास्युटिकल्स) को ध्यान में रखकर विशेष सहायता की आवश्यकता पर जोर दिया।
केंद्रीय GST विभाग के नोटिस पर आपत्ति : राज्य के टोल पट्टाधारकों को केंद्रीय जीएसटी विभाग द्वारा भेजे गए 200 करोड़ रुपये के नोटिस पर कड़ा विरोध जताते हुए, मंत्री ने इसे कानूनी और संवैधानिक दृष्टिकोण से अनुचित बताया। उन्होंने इन नोटिसों को तुरंत निरस्त करने की मांग की।
बीमा पर जीएसटी छूट : महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य और टर्म इंश्योरेंस पॉलिसियों पर जीएसटी को खत्म करने की पुरजोर वकालत की, ताकि आम जनता को राहत मिल सके।
अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहन : मंत्री ने शोध और विकास कार्यों, विशेषकर निजी भागीदारी वाले प्रोजेक्ट्स के लिए अगले 10-15 वर्षों तक जीएसटी छूट का आग्रह किया। उनका मानना है कि यह कदम नवाचार और उद्योगों के विकास को गति देगा।
पूर्व-बजट चर्चा में हिमाचल के विकास के लिए सुझाव : आपदा रोधी बुनियादी ढांचे के लिए कोष:
मंत्री ने हिमाचल में प्राकृतिक आपदाओं से बचाव और आपदा रोधी ढांचे के निर्माण के लिए ‘अनुकूलन कोष’ स्थापित करने की मांग की।
एयरपोर्ट और रेलवे परियोजनाओं में केंद्रीय हिस्सेदारी : कांगड़ा एयरपोर्ट के विस्तार और भानुपल्ली-बिलासपुर तथा चंडीगढ़-बद्दी रेलवे परियोजनाओं में 50% केंद्रीय हिस्सेदारी सुनिश्चित करने की अपील की। साथ ही, इन परियोजनाओं को केंद्र सरकार द्वारा पूर्ण वित्त पोषित करने की मांग की, ताकि राज्य पर वित्तीय बोझ न पड़े।
सेब आयात पर कस्टम ड्यूटी में वृद्धि : सेब उत्पादकों के हितों की सुरक्षा के लिए मंत्री ने सेब आयात पर कस्टम ड्यूटी को 50% से बढ़ाकर 100% करने की सिफारिश की।
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए विशेष फंड : ग्रामीण क्षेत्रों में सीवरेज ट्रीटमेंट सुविधाओं के लिए विशेष बजट का अनुरोध किया।
प्राकृतिक खेती और दुग्ध प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए धनराशि उपलब्ध कराने की मांग की।
कृषि पार्कों की स्थापना का सुझाव दिया, ताकि किसानों को अतिरिक्त लाभ मिल सके।
स्किल यूनिवर्सिटी की स्थापना : राज्य में एक विशेष स्किल यूनिवर्सिटी की स्थापना की वकालत की, जिसमें आधुनिक तकनीकी, आपदा प्रबंधन, भू-विज्ञान, पर्यावरण इंजीनियरिंग और नई पीढ़ी की तकनीकी पाठ्यक्रमों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
सैटेलाइट टाउन का विकास : मंत्री ने सैटेलाइट टाउन बनाने के लिए वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन की मांग की, ताकि शहरी विकास के लिए आवश्यक भूमि उपलब्ध हो सके।
सेब उत्पादकों और ग्रामीण विकास पर फोकस : कृषि आधारित उद्योगों के लिए एग्रो पार्क स्थापित करने का सुझाव दिया। प्राकृतिक खेती और दूध प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए फंडिंग की अपील की।