एएम नाथ। शिमला :
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्यसभा चुनाव की हार को स्वीकार करते हुए जिम्मेदारी खुद पर ले ली है। उन्होंने कहा कि हिमाचल की राजनीति में इस तरह की घटना पहले नहीं हुई। साथ ही यह सीख भी दी कि जो हुआ, जरूरी नहीं हुआ, भविष्य में भी न हो। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इस समूचे घटनाक्रम के बाद भी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू हाईकमान व अपने विधायकों का विश्वास जीतने में पूरी तरह सफल रहे हैं और अब उनकी कार्यप्रणाली पहले से कहीं अलग होगी। और जो कमियां गिनाई गई हैं, वे बहुत जल्द दूर होंगी। विशेषज्ञ और राजनीतिक के जानकार बताते हैं कि सुक्खू को मुख्यमंत्री पद थाली में नहीं परोसा गया था, बल्कि अपने समर्थक विधायकों की संख्या ज्यादा होने के चलते ही वह मुख्यमंत्री बने थे और यही विधायक उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे। देश में दो माह में लोकसभा के चुनाव होने हैं। सत्तासीन होने के बाद से ही सरकार व संगठन में बिखराव व गुटबाजी की स्थिति थी, जो कि खतरनाक हो सकती थी, लेकिन समय रहते उन्हें संभाल लिया गया है। सूत्रों ने दावा किया कि गुरुवार को ओक ओवर में विधायकों ने पर्यवेक्षकों के सामने एक साथ कई बातें रखीं।
उनका कहना था कि अगर सीएम ने समय रहते उनका समाधान किया होता तो आज ऐसी नौबत न आती और राज्यसभा में भी कांग्रेस भारी बहुमत से जीती होती। आज जो बातचीत हुई है, उसमें यह कोशिश हुई कि सरकार समन्वय समिति गठित कर केंद्रीय हाईकमान ने बड़ा संदेश दिया है कि अब किसी भी स्तर पर कोई मसला अटकेगा नहीं।