एएम नाथ। शिमला : मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज कहा कि परिवार को पांच लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज मुहैया कराने वाली हिमकेयर योजना बंद नहीं की जाएगी, बल्कि इसमें सुधार किया जाएगा। विधानसभा में हिमकेयर पर पूछे गए सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि अनियमितताओं की शिकायतें मिलने के बाद निजी अस्पतालों में योजना बंद कर दी गई थी। उन्होंने कहा, “हमारी कैबिनेट उप-समिति इस मामले की जांच कर रही है। हम उप-समिति की सिफारिशों के अनुसार आगे बढ़ेंगे।” सुक्खू ने कहा कि उप-समिति कुछ निजी अस्पतालों द्वारा अधिक शुल्क वसूलने की शिकायतों की जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि हिमकेयर योजना के तहत सरकारी और निजी अस्पतालों को क्रमश: 227 करोड़ रुपये और 127 करोड़ रुपये का भुगतान लंबित है।
सहारा योजना पर पूछे गए सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई यह एक अच्छी योजना थी, लेकिन इसका भी दुरुपयोग हो रहा है। उन्होंने कहा, “यह योजना पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए है, लेकिन कुछ अपात्र लोग भी जाली दस्तावेजों के आधार पर इसका लाभ ले रहे हैं।” उन्होंने कहा कि सरकार रिक्त पदों को भरकर तथा अस्पतालों में अत्याधुनिक उपकरण व मशीनरी उपलब्ध करवाकर अपने संस्थानों को मजबूत कर रही है। उन्होंने कहा कि हम लोगों को बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना चाहते हैं तथा हम इस दिशा में काम कर रहे हैं। इस बीच, नाबार्ड योजना पर पूछे गए सवाल पर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई। विपक्ष ने आरोप लगाया कि नाबार्ड के तहत केवल कांग्रेस विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों के लिए योजनाएं स्वीकृत की जा रही हैं तथा विपक्षी विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) भी तैयार नहीं की जा रही है। सुक्खू ने पक्षपात के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पूरे प्रदेश का एक समान विकास उनकी सरकार की प्राथमिकता है। विधायक रणधीर शर्मा के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि नाबार्ड योजना के तहत विधानसभा क्षेत्र की सीमा 175 करोड़ रुपये निर्धारित की गई थी, जिसे सरकार ने 20 करोड़ बढ़ाकर 195 करोड़ कर दिया है।