अब तक दुनिया का सबसे बड़ा 1 क्विंटल 12 किलो का पौष्टिक बर्गर होशियारपुर निवासी शरणदीप सिंह उर्फ ​​बर्गर चाचू  की ओर से बनाया गया 

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बहुत कठिन जीवन के पश्चात हासिल किया यह मुकाम  :  शरणदीप सिंह उर्फ ​​बरगर चाचू
होशियारपुर । दलजीत अजनोहा : हम अक्सर देखते हैं कि जब कोई भी व्यक्ति किसी भी कार्य के प्रति समर्पित हो जाता है और ईमानदारी और लगन से जनून की हद तक मेहनत करने लगता है तो कोई भी मुकाम उससे दूर नहीं होता बस जरूरत होती है कि उस व्यक्ति को परिवार से, समाज से. सही समय पर यदि  उचित सलाह, प्रोत्साहन और सहयोग मिले तो निःसंदेह व्यक्ति चाहे कितनी भी पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करे, वह अपनी मंजिल की ओर बढ़ता रहता है।
जी हां
आज मैं एक ऐसी ही शख्सियत शरणदीप सिंह उर्फ ​​बर्गर चाचू के बारे में अपने पाठकों को अक्षरों के रूप बताने जा रहा हु जिन्होंने दुनिया का सबसे बड़ा बर्गर बनाकर विश्व रिकॉर्ड के साथ अन्य राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाए और अपने संघर्षपूर्ण जीवन और अपनी उपलब्धियों के कारण आधुनिक समय में बर्गर चाचू के नाम से जाने जाते हैं ।शरणदीप सिंह का जन्म कुलदीप सिंह और  माता श्रीमती मनजीत कौर के गृह हुआ  2 बहनों और 2 भाइयों में सबसे छोटा है। दोनों बड़ी बहनों की शादी हो चुकी है। बड़े भाई भी अपना खुद का व्यवसाय करते है शरनदीप सिंह कें पिता बिजली बोर्ड में काम करते थे और विभाग से सेवानिवृत्त होने के बाद 2011 में उनकी मृत्यु हो गई। 2009 में, शरणदीप सिंह ने होटल प्रबंधन में अपना डिप्लोमा शुरू किया और 2011 में प्रशिक्षण में अपनी डिग्री भी पूरी की और इस दौरान उन्होंने आगरा के एक होटल में नौकरी भी की। हैदराबाद में भारत के प्रमुख होटलों में काम किया, जिनमें आईटीसी आगरा और ताज होटल भी शामिल थे। एक दिन  घर में चोरी हो गई, घर की हालत देखकर मां ने   उसे घर वापस बुला लिया घर में एक बहन थी जिस  की शादी करनी थी  इसलिए उसने हर तरह की परिस्थितियों का डटकर सामना किया और होशियारपुर शहर की मशहूर दुकान भवानी सीमेंट में नौकरी कर ली, इस दौरान उसने मजदूरी से लेकर पढ़ाई लिखाई तक का सारा काम किया। शरणदीप सिंह ने बताया के  उसने दुकान पर लगभग 3 वर्षों तक काम किया। दुकान के मालिक मेरी मेहनत, ईमानदारी और लगन और मेरी शिक्षा को देखकर खुश हुए। उन्होंने मुझे अपना खुद का व्यवसाय खोलने के लिए कहा और इसके लिए उन्होंने मेरी आर्थिक मदद की और 17 जुलाई 2016 को उसने  फगवाड़ा चौक में रेहड़ी लगाकर काम शुरू कर दिया और बर्गर बनाना शुरू किया
इसी बीच 2 फरवरी 2016 को उसकी शादी बीबी हरप्रीत कौर से हो गई. उन्होंने बी एड. तक पढ़ाई की हुई थी शरणदीप सिंह के मुताबिक, उन्होंने अपनी पत्नी को बहुत अच्छे और प्रभावी ढंग से काम करने के लिए कहा और क्योंकि वह पढ़ी-लिखी थीं, इसलिए हरप्रीत कौर ने भी उनके  काम शुरू कर दिया. रेहड़ी पर   काम करते हुए समय बीतता गया और परेशानी के बावजूद  उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने ईमानदारी से काम करना जारी रखा और होशियारपुर के मेन मार्केट सिटी सेंटर में एक दुकान किराए पर लेने का समय मिल गया बर्गर, सैंडविच, कॉफी आदि  का काम करना शुरू कर दिया। भगवान जब व्यक्ति के दिन बदलने लगते हैं तो पता नहीं कैसे बहाना बना देते हैं शरणदीप सिंह के मुताबिक उन्होंने 17 फरवरी 2017 को दुकान खरीदी और 17 जुलाई को सुबह 6 बजे उनके मन में ख्याल आया कि कुछ अलग करने का तों उन्होंने पहले पोष्टिक तत्वों वाला 7 किलोग्राम का बर्गर बनाया और फिर इसी तरह 25 दिसंबर 2018 को उन्होंने 11 किलो का बर्गर बनाया और 2019 में उन्होंने इसी तरह बर्गर बनाकर 7 किलो का सैंडविच बनाया और सैंडविच की बात मीडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचने लगी।और उन्हें लोगों का प्यार मिलने लगा फिर उन्होंने हॉकी के खिलाड़ी हरभजन सिंह की टीम  के लिए  मोहाली  में 20 किलो का पौष्टिक बर्गर बनाया
 इसी दौरान शरणदीप सिंह के माता मनजीत कौर की 2 अप्रैल 2021 को मृत्यु हो गई शोक के समय के पश्चात शरणदीप सिंह की ओर से दिसंबर 2021 में 11 किलो का सैंडविच बनाया और इसी बीच 11 दिसंबर 2022 को 45 किलो का पौष्टिक बर्गर बनाया जिसने भारत में रिकॉर्ड बनाया और इसी तरह उसे लोगों का समर्थन उन्हें विशेषज्ञों का आशीर्वाद मिलता रहा और उनके दोस्तों और सहयोगियों ने भी बहुत समर्थन दिया और अब वे निरंतर उनका समर्थन कर रहे हैं, इसी तरह नवंबर 2023 में उन्होंने आगरा में 1 क्विंटल 12 किलो का बर्गर बनाया जिससे उनके नाम एक विश्व रिकॉर्ड बन गया और सबसे बड़ी बात यह बर्गर उस मौके पर वहां मौजूद करीब 300 छात्रों, शिक्षकों और अन्य मेहमानों को दिया गया, उन्होंने कहा कि आने वाले समय में उनकी और भी कई योजनाएं हैं, जिन्हें वे जारी रखेंगे समय-समय पर अलग-अलग करने के लिए उन्होंने बहुत प्रसन्न स्वर में कहा कि जब भी उनके जीवन में कई कठिनाइयां आईं, बेशक वे पारिवारिक या काम से संबंधित थीं, उन्होंने उन्हें खुले दिल से स्वीकार किया और उम्मीद नहीं छोड़ी। वह आज इस मुकाम पर हैं, जिसके लिए वह अनंत भगवान के बहुत आभारी हैं।
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